21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान, दलित संगठनों की ओर से ,BSP प्रमुख मायावती
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह SC-ST आरक्षण में उप-कोटा तय करने को मंजूरी दी थी. अदालत ने कहा था कि यदि राज्य सरकारों को लगता है कि SC-ST वर्ग की कोई जाति ज्यादा पिछड़ी है तो फिर उसके लिए सब-कोटा तय किया जा सकता है. यही नहीं 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4-3 के बहुमत से कहा था कि SC-ST में क्रीमी लेयर की भी पहचान होनी चाहिए. क्रीमी लेयर के तहत आने वाले इस वर्ग में लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. शीर्ष अदालत के इस फैसले का एक वर्ग ने स्वागत किया है तो वहीं दलित समाज के बड़े हिस्से में उबाल है.
ट्विटर पर पिछले 2 दिनों से लगातार इसके विरोध में ट्रेंड चल रहा है. यही नहीं 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान भी कई दलित संगठनों की ओर से किया गया है. खासतौर पर BSP प्रमुख मायावती ने भी इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह-तरह आरक्षण को ही खत्म करने की साजिश हो रही है. सब-कोटा पर मायावती ने कहा कि इससे सरकारें अपने मन से किसी भी जाति को कोटा दे सकेंगी और अपने राजनीतिक हितों को साधा जा सकेगा. ऐसा फैसला ठीक नहीं है. यही नहीं उन्होंने क्रीमीलेयर पर भी सुप्रीम कोर्ट की राय का विरोध किया.
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मायावती ने कहा कि यह बात सही है कि दलित समाज में 10 % लोगों के पास पैसा आया है. वह पदों पर पहुंचे हैं, लेकिन उनके बच्चों से आरक्षण का लाभ नहीं छीना जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि जातिवादी मानसिकता के लोगों के विचार अब भी नहीं बदले हैं. समाज में पैसा आने के बाद भी स्वीकार्यता नहीं है. उनसे आरक्षण छीनना ठीक नहीं होगा. इस मामले पर BJP और कांग्रेस ने कोई रिएक्शन नहीं दिया है. लेकिन आगरा कैंट सीट से विधायक जी.एस धर्मेश ऐक्टिव हो गए हैं. उन्होंने भारत बंद का समर्थन करते हुए समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. जीएस धर्मेश दलित समुदाय से आते हैं.
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भाजपा विधायक बोले- PM मोदी से मिलकर बदलवाएं फैसला
भाजपा विधायक व पूर्व राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश ने कहा कि SC-ST आरक्षण से किसी तरह का खिलवाड़ ठीक नहीं. जल्द एक प्रतिनिधिमंडल PM नरेंद्र मोदी से मिलने जाएगा. उनसे 2 अप्रैल 2018 को SC-ST अत्याचार निवारण एक्ट के फैसले पर कैबिनेट में हुए संशोधन की तरह इस फैसले को भी कैबिनेट में बदलने की मांग उठाई जाएगी. इस मामले में चिराग पासवान ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कही है. नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी इस फैसले का विरोध किया है.