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मथुरा में नहीं होगा शाही ईदगाह का सर्वे, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

Uttar Pradesh : सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिससे हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद और उत्तराधिकारिता के मुद्दे पर प्रकटता आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें शाही ईदगाह के सर्वे को लेकर आदेश दिया गया था।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह के बीच हुए विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने साफ किया है कि न्यायिक प्रक्रिया में स्थानीय सीमा को ध्यान में रखते हुए ही न्यायिक निर्णय लेना आवश्यक है। हिंदू पक्ष ने यह दावा किया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और इसका सीधा संदेश है कि मस्जिद पहले हिंदू मंदिर थी। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को सटीक साक्षात्कार और साक्षायिक सबूतों की आवश्यकता होगी।

वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की याचिका में यह प्रस्तुत किया गया कि जन्मस्थान पर कमल के आकार का स्तंभ है, जो हिंदू मंदिरों की विशेषता है। इसके अलावा, शेषनाग की छवि भी है, जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण देवता हैं। इससे स्पष्ट होता है कि जन्मस्थान पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी मौजूद हैं, जो मस्जिद के स्तंभों के निचले भाग पर पाए जाते हैं।

इस निर्णय से बातचीत में एक नया मोड़ आएगा, और सामाजिक सांघर्ता को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर सही निर्णय देने का संकेत किया है। यह निर्णय दिखाता है कि न्यायिक प्रक्रिया में स्थानीय सामाजिक और धार्मिक संबंधों को ध्यान में रखना एक महत्वपूर्ण पहलू है, ताकि न्यायिक निर्णय सामाजिक सांघर्ता को बढ़ते विवादों से दूर रख सके। इस निर्णय के बाद, शाही ईदगाह के सर्वे के लिए अब एक न्यायिक कमीशन की नियुक्ति होगी, जिससे स्थानीय सामाजिक समृद्धि और सुरक्षा की दृष्टि से निर्णय लिया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय साफ रूप से बताता है कि न्यायिक प्रक्रिया में न्यायिक और सामाजिक मामलों को संतुलित रखना हमारे समाज के सुरक्षित और समृद्धिशील भविष्य की दिशा में एक प्रमुख कदम है।

 

 

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