रायपुर में ढाई लाख दीपों से खारून गंगा मैया महाआरती आज: गायक कैलाश खेर बांधेंगे भजनों से समा
रायपुर : राजधानी के रायपुरा स्थित महादेवघाट तट पर ढाई लाख दीपों से खारून गंगा मैया की महाआरती की जाएगी। बनारस और छत्तीसगढ़ के 108 ब्राह्मण एक साथ खारून गंगा महाआरती करेंगे। इस आयोजन को गोल्डन और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल करने की तैयारी चल रही है। महाआरती के वार्षिकोत्सव समारोह में फेमस गायक कैलाश खेर अपने भजनों से भक्ति की धारा बहाएंगे। यहां प्रदेशभर से आने वाले अतिथियों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। आकर्षक साज-सज्रा की गई है।
खारुन तट महादेव घाट में हटकेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित घाट पर लगातार 13 महीनों से प्रति माह बनारस की तर्ज पर होने वाली आरती की यह परंपरा करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा एक वर्ष पूर्व 6 दिसंबर को शुरू की गई थी। हर माह की पूर्णिमा पर यहाँ होने वाली आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। आरती से पहले भक्त खारुन के पवित्र जल की पूजा-अर्चना करते हैं और इसे स्वच्छ रखने की शपथ लेते हैं। महादेव घाट पर आरती के दौरान धार्मिक गीत और मंत्रों की गूंज सुनाई देती है और भक्तजन हटकेश्वर महादेव के दरबार में भक्ति भाव से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। यह आरती अपने धार्मिक महत्व और श्रद्धा के कारण आमजन को एक आनंदमय और आत्मिक अनुभव देने के साथ-साथ नदियों के संरक्षण का संदेश प्रदान करती है।
खारुन गंगा मैया की आरती 108 ब्राह्मणों के द्वारा #महादेव_घाट_रायपुर में कल दिनांक 26 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर #वार्षिकोत्सव के रूप में होने जा रही है। मैं वीरेन्द्र सिंह तोमर #माँ_खारुन_गंगा_महाआरती_महादेव_घाट_जनसेवा_समिति की ओर से समस्त सनातन प्रेमी बंधुओं… pic.twitter.com/OwASsRsdfN
— Virendra Singh Tomar (@vstomarofficial) December 25, 2023
नदी और तालाबों को प्रदूषणमुक्त करने का उद्देश्य
करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि रायपुर के 6 तालाबों को प्रदूषणमुक्त करने के प्रयास में वो तन-मन-धन से जुटे हैं। उनका उद्देश्य जलसंरक्षण है। उनके प्रयास का ही असर है कि शहर के व्यास तालाब, धनेली तालाब, छुईयाँ तालाब हीरापुर, हल्का तालाब मठपुरेना और उरला तालाब प्रदूषणमुक्ति की ओर हैं। तोमर के प्रयास से इन तालाबों पर भी आरती की जाती है। तालाबों को सुरक्षित और संरक्षित रखने का उनका यह अभियान अब जन आंदोलन बनकर समूचे देश में अपनी प्रसिद्धि बिखेर रहा है, जिससे प्रभावित होकर अन्य कई स्थानों पर भी इस प्रकार की आरती का क्रम शुरु हुआ है जो इसकी सफ़लता का द्योतक है।