जीवन परिचय : किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ। बचपन में उनका नाम आभास कुमार गांगुली था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर किशोर कुमार रख लिया।
किशोर कुमार के स्वभाव में फक्कड़पन कूट कूट कर भरा हुआ था। वह बेखौफ थे। उन्हें जिंदगी की जरा सी भी चिंता नहीं थी। मूड सही हो तो पल भर में गीत रिकॉर्ड कर दें और मूड नहीं हो तो चाहे कितने भी पैसे दे दो, गीत नहीं गाएंगे।
घर में घुसने से पहले आपको बोर्ड देखना चाहिए था…
किशोर ने अपने घर के बाहर “बिवेयर आॅफ किशोर” का साइन बोर्ड लगा रखा था। निर्माता-निर्देशक एचएस रवैल जब उनके घर में उनसे मिलकर बाहर जा रहे थे तो किशोर ने उनका हाथ काट लिया, जब रवैल ने पूछा तो किशोर ने जवाब दिया कि मेरे घर में घुसने से पहले आपको बोर्ड देखना चाहिए था।
यह कोशिश की और वह सफल भी हुए…
1962 की फिल्म ‘हाफ टिकट’ का गीत ‘आके सीधे लगी दिल पे जैसी’ को किशोर कुमार ने मेल और फीमेल दोनों ही आवाजों में गाना गाया। यह गीत एक बार में ही रिकॉर्ड कर लिया गया तथा सुपरहिट भी हुआ। लता मंगेशकर इसमें किन्हीं कारणों से आवाज नहीं दे पाई तब किशोर ने यह कोशिश की और वह सफल भी हुए।
पहले मुहम्मद रफी यह गीत गाने वाले थे…
1976 में राजेश खन्ना की ‘महबूबा’ फिल्म का सुपरहिट गाना ‘मेरे नैना सावन भादो’ को किशोर कुमार ने गाया था। पहले मुहम्मद रफी यह गीत गाने वाले थे लेकिन राजेश खन्ना के कहने के बाद यह गाना किशोर से गंवाया।
किशोर कुमार वास्तव में लाजवाब थे…
किशोर कुमार ने अपने घर पर एक आर्किटेक्चर को बुलवाया और कहा की मेरे लिए ऐसा घर बनाओ जिसके हर कमरे में पानी ही पानी हो। वह यह भी चाहते थे कि उनके बेड के पास एक नाव हो जिस पर बैठकर वे डाइनिंग हॉल तक जा सके। यह सपना हालांकि पूरा नहीं हुआ। लेकिन ऐसी सोच के मालिक किशोर कुमार वास्तव में लाजवाब थे।
अपनी छाती पर बांध लेंगे तब मरेंगे…
किशोर कुमार पैसे का जरा ज्यादा ध्यान रखते थे।किशोर का गला खराब रहता था लेकिन गाने के पैसे मिलने के बाद गला ठीक हो जाता था। किशोर ने एक बार दोस्त से कहा की देख जब हम मरने वाले होंगे तब सारा पैसा अपनी छाती पर बांध लेंगे तब मरेंगे।