अपराध

उत्तर प्रदेश में आठ साल की बच्ची से रेप, बिस्किट खिलाने का लालच देकर सुनसान जगह पर किया रेप

उत्तर प्रदेश : औरैया में आठ साल की बच्ची से रेप और हत्या के दोषी व्यक्ति को स्थानीय अदालत ने बीते बुधवार को तीन महीने से कम समय में पॉक्सो एक्ट के तहत मौत की सजा सुनाई। जज का कहना था कि दोषी ने पशुओं जैसा निंदनीय काम किया है।

इसी साल 25 मार्च को जब बच्ची अपने घर के पास बकरी चरा रही थी, तब दोषी गौतम सिंह दोहरे ने उसे बिस्किट खिलाने का लालच देकर सुनसान जगह पर रेप किया और गला दबाकर मार डाला। ये दोनों केस रेप के हैं। दो अक्षरों का यह शब्द किसी महिला या लड़की के तन-मन पर जिंदगी भर का घाव देता है।

क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट अनुजा कपूर कहती हैं कि रेप को किसी महिला की सेक्शुअल इंटीग्रिटी के खिलाफ संगीन जुर्म माना जाता है।

अनुजा के अनुसार, सेक्शुअल इंटीग्रिटी का मतलब है कि न तो कोई महिला को नुमाइश की चीज समझे और न ही किसी को महिला की सेक्शुअलिटी का गलत इस्तेमाल करने का हक है।

जब पुरुष रेप जैसी करतूत केवल अपनी यौन संतुष्टि के लिए करता है तो इसे ‘पैराफिलिया’ कहा जाता है।

रेप के ज्यादातर मामलों में यही होता है, जब पुरुष केवल अपने यौन सुख के लिए कम या ज्यादा उम्र की महिला को बहला-फुसलाकर या धमकाकर अपना शिकार बनाते हैं।

कुछ मामलों में ऐसे अपराध बदला लेने या किसी अन्य वजह से किए जाते हैं।

550 तरह के पैराफिलिया, जो समाज के लिए खतरनाक

पैराफिलिया शब्द ग्रीक भाषा से आया है, जहां पैरा का मतलब है- ‘इसके अलावा’ और फिलिया का मतलब है- ‘प्यार’।

यानी पैराफिलिया का मतलब है- प्यार से परे एबनॉर्मल सेक्शुअल इंटरेस्ट, जो समाज के लिए खतरनाक माने जाते हैं।

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिसर्च में कहा गया है कि पैराफिलिया लगभग 550 तरह के होते हैं। इनमें से कुछ समाज के लिए बेहद घातक माने जाते हैं।

यौन कल्पनाओं में डूबे रहना खतरनाक, खुद पर नहीं रहता काबू

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पैराफिलिया ऐसा साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति में बरसों से कुंठा कुलबुलाती रहती है और वह यौन कल्पनाओं की दुनिया में डूबा रहता है।

डॉ. अनुजा कपूर कहती हैं कि जिन लोगों में पैराफिलिया के लक्षण हैं, उनमें से ज्यादातर के साथ बचपन में कभी न कभी यौन शोषण हुआ रहता है।

वहीं, कुछ लोगों में बचपन में ‘सेक्शुअल मैसोचिज्म डिसऑर्डर’ यानी दूसरों को सताने में आनंद आने जैसा विकार पनपता है।

यह बेहद खतरनाक स्थिति है। ऐसा व्यक्ति पोर्नोग्राफी और सेक्शुअल कंटेंट को लगातार देखता है और खुद पर काबू नहीं रख पाता।

इस वजह से वह रेप जैसे अपराध की घटनाओं को अंजाम देता है। इस डिसऑर्डर को तकनीकी रूप से ‘बायस्टोफिलिया’ भी कहा जाता है।

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