जीवन परिचय

12th में ही आईएएस बनने का फैसला ले लिया था, कलेक्टर से विधानसभा चुनाव तक

रायपुर. छत्तीसगढ़ के 2005 बैच के आईएएस ओपी चौधरी आज अपना 42 वां जन्मदिन मनाने जा रहे है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कलेक्टर के रूप में पदस्थ पूर्व आईएएस ओपी चौधरी का नाम आज छत्तीसगढ़ में ही नहीं पूरे देशभर में जाना जाता है. आइए उनके जन्मदिन पर जाने ओपी चौधरी के जीवन के कुछ मजेदार किस्से.

– ओपी चौधरी रायगढ़ जिले के बायंग गांव के रहने वाले हैं। इस जिले से सिलेक्ट होने वाले वो पहले आईएएस अफसर थे। अपने 13 साल की सर्विस में उन्होंने छत्तीसगढ़ में ऐसी कई योजनाओं पर काम किया जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया।

– चौधरी जब 8 साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। ऐसे में मां ने ही उन्हें पढ़ाया-लिखाया और वे आज इस मुकाम पर हैं। उन्होंने 12th में ही आईएएस बनने का फैसला ले लिया था।

– पीईटी में सिलेक्शन होने के बावजूद उसे छोड़ दिया, क्योंकि वह खुद को कलेक्टर के तौर पर ही देखना चाहते थे। 23 साल की उम्र में आईएएस अधिकारी बनने और इतनी बड़ी सफलता के बावजूद वो हमेशा अपनी जमीन से जुड़े रहते हैं।

– चौधरी कहते हैं, ‘जैसे ही आप बड़े ओहदे पर आते हैं, आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ऐसे में आपकी परवरिश और संस्कार ही आपको जमीनी हकीकत से जोड़े रखती है। आज जमीनी हकीकत के जितने नजदीक होते हैं, उतने ही उसपर खरे उतरते हैं।’

दंतेवाड़ा में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाके को एजुकेशन हब में बदल दिया था, जिसके चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्ष 2011-12 में उन्हें प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

बता दें कि पूर्व कलेक्टर ओमप्रकाश चौधरी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में भाजपा का हाथ थामा था। 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने 25 अगस्त 2018 को अपने पद से इस्तीफा दिया था।

आईएएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी छत्तीसगढ़ की खरसिया विधानसभा सीट से हार चुके हैं। चौधरी को कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल ने मात दी। चौधरी को जहां 77234 मत मिले वहीं उमेश पटेल ने 94201 वोट हासिल कर जीत दर्ज की।

 

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