पूर्वांचल की राजनीति के विकास पुरुष, गोरखपुर से प्रदेश की बागडौर संभालने का सफ़र
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उत्तर प्रदेश: गोरखपुर जिले ने प्रदेश को एक नहीं बल्कि दो सीएम दिए हैं। वर्तमान में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री का पद संभालते हुए यूपी के प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जबकि ठीक ऐसे ही उत्तर प्रदेश के 14 वें मुख्यमंत्री के रूप में वीर बहादुर सिंह को भी प्रदेश चलाने का मौका मिला था। वर्ष 1985 में जब वीर बहादुर सिंह ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तब उन्होंने पूर्वांचल के शहर गोरखपुर को राजधानी की तरह चमकाने का सपना देखा था। 34 वीं पुण्यतिथि पर पढ़िए पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की कहानी.
जिसे पूरा करने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट भी तैयार कराए। वर्ष 1ं985 से 1988 तक उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल रहा। इस दौरान गोरखपुर में काफी कुछ नया हुआ था। साथ ही कई ऐसे प्रोजेक्ट थे जो उनके मुख्यमंत्री पद के हटने के बाद ठंडे बस्ते में चले गए। वीर बहादुर सिंह को पूर्वांचल की राजनीति का विकास पुरुष भी माना जाता था।
18 जनवरी,1935 को गोरखपुर के हरनही गांव में जन्में वीर बहादुर सिंह 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े रहे थे। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था। युवा नेता ओम प्रकाश पाण्डेय के साथ राजनीति में उतरे वीर बहादुर, पाण्डेय की अचानक हुई मौत के बाद पूर्वांचल की राजनीति में उभर कर सामने आये। उनके कार्यकाल के दौरान कई बार ऐसी उथल-पुथल हुई जो किसी भी कुशल राजनेता को विचलित कर देती, लेकिन वीर बहादुर जी निरपेक्ष होकर अपना काम करते रहे। नारायण दत्त तिवारी के बाद जब प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर वीर बहादुर सिंह ने पद का दायित्व संभाला।
वीर बहादुर सिंह 1967 उत्तर प्रदेश विधान सभा के पनियारा निर्वाचन क्षेत्र तत्कालीन जिला गोरखपुर से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे। दोबारा 1969, 1974, 1980 और 1985 तक पांच बार यूपी विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1988 से 1989 तक वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 1970, 1971 से 1973 और 1973 से 1974 तक वह उपमंत्री भी रहे। इसके बाद 1976 से 77 के बीच वो राज्य मंत्री भी रहे। 1985 में 24 सितंबर को उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। इसके अलावा वे जिला युवक कांग्रेस गोरखपुर के संयोजक भी थे। वीर बहादुर सेंट्रल पार्लियामेंट्री बोर्ड के स्थायी निमंत्रित सदस्य थे।
वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल के दौरान कई विकास कार्य कराए गए थे। जिनको यूपी के राजनीतिक इतिहास में सदैव याद किया जाएगा। वे प्रदेश के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने जाने पर जोर देते थे। उन्होंने रामगढ़ ताल परियोजना, बौद्ध परिपथ, सर्किट हाउस, सड़कों का चौड़ीकरण, विकास नगर, राप्तीनगर में आवासीय भवनों का निर्माण, पर्यटन विकास केंद्र की स्थापना, तारामंडल का निर्माण और कई पार्कों का सुंदरीकरण कराने का कार्य करवाया था। वे प्रदेश के ऐतिहासिक इलाकों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में तब्दील करने की ख्वाहिश रखते थे।
देश की राजनीति से जुड़े रहने वाले वीर बहादुर सिंह ने पेरिस में 30 मई, 1989 का अंतिम सांस ली थी। वीर बहादुर सिंह की मृत्यु के इतने समय बाद भी लोगों को भरोसा नहीं होता कि प्रदेश की मिट्टी से जुड़े इस शख्स ने परदेस में अंतिम सांस ली। इनकी मौत को लेकर कई तरह की बातें होती रही हैं।