लोगों के दिल पर राज करते हैं सिद्धारमैया, कर्नाटक की सियासत के रजनीकांत
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कर्नाटक. साउथ में कई हस्तियों का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. कर्नाटक में बंपर चुनावी जीत के बाद कांग्रेस को सत्ता में लाने वाले सिद्धारमैया को अगर कर्नाटक का रजनीकांत कहा जाए तो गलत नहीं होगा. तमिलनाडु के सिनेमा फैंस के बीच रजनीकांत का जादू जिस तरह सिर चढ़कर बोलता हैं, ठीक उसी तरह से कर्नाटक के लोगों के दिल पर सिद्धारमैया राज करते हैं. रजनीकांत का एक्शन तो सिद्धारमैया की सादगी, संघर्ष और सियासत के लोग दीवाने है. खासकर कुरबा समुदाय के तो सिद्धारमैया को संत की तरह सम्मान देते हैं.
कभी जनता दल में रहते हुए कांग्रेस विरोध की सियासत करने वाले सिद्धारमैया जब कांग्रेस में आए तो यहां भी उनका रुतबा लगातार बढ़ता ही गया. जनता के बीच लोकप्रियता और सियासी ताकत ऐसी की 78 साल की उम्र में सिद्धारमैया कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को पीछे छोड़कर एक बार फिर कर्नाटक के सीएम कर्नाटक के सीएम की कुर्सी संभालने जा रहे हैं.
कभी थे कांग्रेस के धुर विरोधी-
किसान परिवार में जन्मे और गरीबी में पले-बढ़े सिद्धारमैया 1980 से 2005 तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे, लेकिन देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा. सिद्धारमैया ने पिछले दो दशको से कांग्रेस में रहते पार्टी में अपना इतना बढ़ा लिया है, जिसमें बड़े-बड़े नेता पीछे छूट गए और गांधी-परिवार व शीर्ष नेतृत्व चाह कर भी सिद्धारमैया को नजरअंदाज नहीं सका है.
कर्नाटक के मैसूर जिले के वरुणा होबली में 12 अगस्त 1948 को सिद्धारमैया का जन्म हुआ. बचपन गरीबी में बीता और जवानी सियासी संघर्ष में गुजरी. गरीबी इतनी कि उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़कर मवेशियों को चराना शुरू कर दिया ताकि परिवार भूखा ना सो सके. सिद्धारमैया की पढ़ाई को लेकर ललक बेइंतहा थी. इसे भांपकर शिक्षक ने उन्हें सीधे चौथी कक्षा में दाखिला दे दिया. अब तक मवेशियों को चराने वाला यह बच्चा प्राथमिक और सेकंडरी शिक्षा पूरी करने के बाद मैसूर के कॉलेज में दाखिला लेने पहुंच गया. सिद्धारमैया के पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बने, लेकिन सिद्धारमैया ने अपनी अलग राह चुनी. हालांकि, उन्होंने बीएससी की डिग्री जरूर हासिल की, लेकिन कानून की डिग्री हासिल कर वकालत और सियासत शुरू कर दी.