छत्तीसगढ़ में अब रजिस्ट्री के साथ ही होगा जमीन का आटोमेटिक नामांतरण
रायपुर: छत्तीसगढ़ में संपत्ति रजिस्ट्री की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। अब रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण की प्रक्रिया भी स्वचालित रूप से पूरी होगी, जिससे लोगों को पटवारी, राजस्व निरीक्षक (आरआई) या तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

यह सुविधा पूरे प्रदेश में लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य प्रक्रिया को पारदर्शी, त्वरित और भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है।क्या है नया बदलाव?राज्य सरकार ने भू-राजस्व संहिता में संशोधन कर रजिस्ट्री के समय ही नामांतरण की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत:स्वचालित नामांतरण: रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण की प्रक्रिया पूरी होगी, जिसके लिए अलग से आवेदन की जरूरत नहीं होगी।ऑनलाइन सूचना प्रणाली: रजिस्ट्री के तुरंत बाद पटवारी, आरआई और तहसीलदार को ऑनलाइन सूचना भेजी जाएगी। पटवारी को 7 दिनों में जांच प्रतिवेदन जमा करना होगा, अन्यथा प्रकरण स्वतः अग्रेषित होगा। हितग्राहियों को एसएमएस के जरिए प्रक्रिया की जानकारी मिलेगी।
भ्रष्टाचार पर लगाम:
एक ही संपत्ति की कई रजिस्ट्री और फर्जीवाड़े की संभावना खत्म होगी। साथ ही, दफ्तरों में सुविधा शुल्क की समस्या भी समाप्त होगी।
भुइंया पोर्टल और सुगम एप का उपयोग:
रजिस्ट्री और नामांतरण को भुइंया पोर्टल के साथ जोड़ा गया है। एनआईसी-चिप्स की मदद से एक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है, जो प्रक्रिया को और सुगम बनाएगा।समय की बचत: पहले नामांतरण के लिए महीनों दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब यह प्रक्रिया रजिस्ट्री के साथ ही पूरी होगी, जिससे समय और मेहनत दोनों की बचत होगी।
लोगों को क्या लाभ?
इस नई व्यवस्था से छत्तीसगढ़ के नागरिकों को भूमि संबंधी कार्यों में अभूतपूर्व सुविधा मिलेगी। प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगेगा। यह कदम न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि आम लोगों का प्रशासन पर भरोसा भी बढ़ाएगा।अधिक जानकारी के लिए नागरिक भुइंया पोर्टल या सुगम एप पर जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुशासन के विजन के तहत रजिस्ट्री के साथ स्वचालित नामांतरण को नीतिगत नेतृत्व प्रदान किया, जबकि वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपनी प्रशासनिक विशेषज्ञता और तकनीकी दृष्टिकोण से प्रक्रिया को सुगम और प्रभावी बनाया। दोनों के संयुक्त प्रयासों से छत्तीसगढ़ में यह ऐतिहासिक सुधार लागू हुआ, जो पारदर्शिता, दक्षता और जन-केंद्रित प्रशासन को बढ़ावा देता है।