Uncategorized

सपने… हमारे अपने सपने

सपने… हमारे अपने सपने

सपनों का नाम आते ही दिमाग में एक ही विचार कौधता है कि शायद मीठी–मीठी नींद में आने वाले सपनों की बाते हो रही है,लेकिन मैं जिन सपनों की बात करना चाहता हूँ वह नीद में आने वाले सपनों से बिल्कुल अलग हैं | बंद आँखों से देखे जाने वाले सपने जो की अक्सर लोग रात में या दिन में नींद के समय देखते हैं उनकी तो बात ही बिलकुल निराली है | नींद में देखे जाने वाले सपने अक्सर मुंगेरीलाल के हसीन सपनों जैसे बहुत ही खुशनुमा और अनोखे होते हैं, लेकिन नींद खुलने के बाद वास्विकता के धरातल पर उन सपनों का कोई अस्तित्व नहीं होता है |

मैं नींद वाले सपनों की बाते नहीं कर रहा हूँ बल्कि मै तो ऐसे सपनों की बाते कर रहा हूँ जो की खुली आँखों से अक्सर देखा करते हैं | ये सपने भी बंद आँखों वाले सपनों जैसे ही होते हैं लेकिन इनमे फर्क इतना होता है कि यदि इन सपनों को लक्ष्य बनाकर इन पर काम किया जाये तो इन सपनों की हक़ीकत में सम्भव कर पाना कोई मुश्किल काम नहीं है |

आमतौर पर होता यह है कि बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर आदमी ढेर सरे सपने देखता है , लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा और समझदार होता जाता है वैसे-वैसे उसके सपने उसके अन्दर ही कहीं दम तोड़ने लगते हैं और वह व्यक्ति जीवन के जद्दोजहद में उलझकर केवल रोटी, कपड़ा और मकान की जुगाड़ में जी जान से जुड़ जाता है, और फिर ज़िन्दगी, हाथ की मुठ्ठी में बंद रेत की तरह कब फिसल कर ख़त्म हो जाती है, उसे पता ही नहीं चलता |

हार्वर्ड विश्विद्यालय के एक सर्वे के अनुसार पूरी दुनिया में 87 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें यह ही नहीं पता है कि वह क्यों जी रहे हैं- अर्थात ईश्वर ने उन्हें इस खुबसूरत पृथ्वी पर केवल खाने पिने और सोने के लिए भेजा नहीं होगा या केवल अपने परिवार को पालने के निमित्त ही उनको ये जीवन मिला है | अपना और अपने परिवार का पेट तो जानवर भी भर लेता है, लेकिन प्रकृति से यदि हम सबक सीखें तो हमें पता चलेगा की पेड़ अपने फल खुद नहीं खाता है, बादल खुद कभी अपना जल नहीं पीता है, दीपक खुद जलकर ही दुसरो को प्रकाश देता है लेकिन क्या इन्सान इन सबसे भी गया गुज़रा है जो केवल अपना और अपने परिवार के बारे में सोचाता है | इनके पास अपने कोई सपने ही नहीं है | ये हमेशा दूसरों के सपने पुरे करने में ही लगे रहते हैं और इन्हें गुमान ये होता है कि ये अपने लिए कार्य कर रहे है जबकि इनका कार्य हमेशा किसी दुसरे के लिए होता है |

सर्वे के अनुसार 10 प्रतिशत इन्सान ऐसे हैं जिनके पास सपने तो हैं कि हम अपने सपनो के लिए काम करें लेकिन इनके पास ऐसा कोई जरिया नही होता है कि जिससे ये अपने सपनो को यर्थाथ रूप में प्राप्त कर सकें | पूरी दुनिया में केवल 3 प्रतिशत इन्सान ही ऐसे हैं जो अपने सपनो को हक़ीकत में बदल पाते हैं | ऐसे इंसानों में बिल गेट्स, अजीम प्रेमजी, धीरुभाई अम्बानी, टाटा, बिड़ला, फोर्ड इत्यादि के नाम गिनाये जा सकते हैं जिनके लिए आज प्रतिदिन हज़ारों आदमी, लाखों घंटे काम कर रहे हैं | निष्कर्ष रूप में हम यह भी कह सकते हैं कि केवल इन तीन प्रतिशत लोगों के लिए 97 प्रतिशत आदमी काम कर रहे होते हैं |

यदि आपका भी कोई अनूठा सपना है और आप वाकई गम्भीरता से उसे पूरा करने के लिए दृढ प्रतिज्ञ हैं तो मे आपको इस हेतु एक रास्ता बताना चाहता हूँ ताकि आप भी आने सपने को हक़ीकत में बदलने हेती प्रयासरत हो सकें |

सबसे पहला काम तो यह करना है कि बड़े-बड़े सपनों को देखना है | पूर्व राष्ट्रपति महोदय डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलम का भी यह कहना था कि बड़े सपने देखिये | दूसरा काम है – अपने सपने को ही अपना लक्ष्य बनाइये अर्थात उस सपने को आप कब तक पूरा करना चाहते है | इसके लिए आप अपने सपने के ऊपर एक तिथि डालिए जो इस बात को इंगित करे कि आप इस तिथितक अपने सपने को पूरा कर लेंगे | तीसरा काम कई –दिशा निर्धारित करिये अर्थात अपने सपने को पूरा करने की दिशा में प्रयास करिये | जब आपकी दिशा निरधारित हो जाये तो फिर आप उस हेतु साधन खोजिये | साधन ही वह जरिया है जो आपको आपके सपए तक पँहूचायेगा | सबसे अंतिम और महतवपूर्ण कदम है, कार्यरूप में परिणित करिए अर्थात आपने आपको ‘एक्सन मोड’ में ले आइये और कार्य शुरू कर दीजिए |

उत्कर्ष शर्मा

छात्र, आईआईएमसी जम्मू

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker