जीवन परिचय

छत्तीसगढ़ कैडर का एक ऐसा आईएएस अधिकारी, जिसने स्वास्थ सचिव रहते हुए शिशु मृत्यु दर को 95 से घटाकर 64 करने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका, अहम पदों में रहते हुए किए यह काम

इन्होंने कई सारे कीर्तिमान को हासिल किया एवं बस्तर जिले के प्रभारी सचिव रहते हुए नक्सल के नाम से प्रभावित क्षेत्र के विकास में निभाई अहम भूमिका आइए जानते हैं उनके बारे में..

डॉ. बी.एल. अग्रवाल भारतीय प्रशासनिक सेवा, छत्तीसगढ़ कैडर (1988) के एक सिविल सेवक हैं, जिन्होंने विभिन्न पदों पर लगभग 30 वर्षों की सेवा की है और अपने अंतिम कार्यभार में वे छत्तीसगढ़ सरकार में प्रमुख सचिव और आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग के पद पर तैनात थे। इस पद पर नियुक्ति से ठीक पहले वे छत्तीसगढ़ सरकार में सचिव सामान्य प्रशासन विभाग और राजस्व विभाग के पद पर कार्यरत थे। राजस्व विभाग, महिला एवं बाल विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग सहित विभिन्न विभाग में पदस्थ थे।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद आयुक्त प्रणाली, रायपुर संभाग के आयुक्तालय की स्थापना करते हुए पहले संभाग आयुक्त के पद पर कार्य करने का सुअवसर भी उन्हें प्राप्त हुआ।

उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से पीएचडी की है (थीसिस: “छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण: एक सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण”) और राजनीति विज्ञान विभाग, दुर्गा कॉलेज, रायपुर (पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय) से राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय कानून में मास्टर डिग्री (स्वर्ण पदक) प्राप्त की है। उन्होंने कटक के रेवेनशॉ कॉलेज से राजनीति विज्ञान में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने इग्नू से वित्त में एमबीए की डिग्री भी प्राप्त की है। साथ ही विधि स्नातक की भी डिग्री प्राप्त की।

इन्हीं के कारण DKS भवन में सचिवालय और राज्य स्तरीय कार्यालय का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। राज्य निर्वाचन कार्य एवं कई वर्षों तक 2003 और 2008 के चुनाव को निर्विघ्न रूप से सम्पन्न करने के लिए अहम भूमिका निभाई।

डॉ. अग्रवाल उन कुछ अधिकारियों में से एक थे जिन्हें वर्ष 2000 में सचिवालय और नए कार्यालयों की स्थापना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, जब छत्तीसगढ़ राज्य को तत्कालीन मध्य प्रदेश राज्य से अलग किया गया था। इस समय वे दुर्ग जिले के जिला कलेक्टर के रूप में तैनात थे और संभागीय आयुक्त रायपुर के अधीन कोर टीम का हिस्सा थे, जो नई राजधानी की स्थापना और भोपाल से रायपुर आने वाले बड़ी संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास/स्थानांतरण आदि की देखरेख करती थी। बाद में उन्होंने संयुक्त सचिव, अपर सचिव, सचिव और फिर प्रमुख सचिव जैसे विभिन्न पदों पर नए छत्तीसगढ़ राज्य की सेवा की। डॉ. अग्रवाल ने जल संसाधन, ऊर्जा, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, श्रम, राजस्व प्रशासन, सामान्य प्रशासन, उच्च शिक्षा आदि जैसे विभिन्न विभागों में कार्य किया। डॉ. अग्रवाल ने चुनाव विभाग में भी कार्य किया और कई वर्षों तक संयुक्त/अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रूप में भी काम किया। उन्होंने भारत के चुनाव आयोग के मार्गदर्शन में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने डॉ. अग्रवाल द्वारा किए गए कार्यों की बहुत सराहना की। विभाग के सचिव रहते हुए छत्तीसगढ़ राज्य जो कि बीमारु राज्य के नाम से जाना जाता था , डॉ. अग्रवाल ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव रहते हुए शिशु मृत्यु दर को 95 से घटाकर 64 करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सबसे बड़ी सामुदायिक स्वयंसेवी योजना यानी मितानिन कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने इस बीमारू राज्य यानी छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य परिदृश्य को बदल दिया और राज्य के दूरदराज के सुदूर और वन क्षेत्रों में डायरिया, डिसेंट्री और मलेरिया जैसी आम बीमारियों से हजारों लोगों की जान बचाई। प्रदेश में डॉक्टरो की अधिक कमी थी , समुदाय अधारित कार्यों का संचालन करते हुए , सभी जिला अस्पतालों में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो की दशा में सुधार करने लिए आज भी प्रदेश में संचालित जीवन दीप समिति संचालित की जा रही है। वास्तव में यह एक ऐसा विचार था जिसे उन्होंने मेडागास्कर से प्रशिक्षण लिया था, जहाँ वे विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए गए थे। बाद में छत्तीसगढ़ के इस बेहतरीन प्रयास को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू किया गया और डॉ. अग्रवाल को भारत सरकार द्वारा एनआरएचएम की प्रारूपण और स्क्रीनिंग समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य को इन उल्लेखनीय कार्य के लिए कॉमन वेल्थ देशों के मध्य प्रतियोगिता में सेमी फ़ायनलिस्ट रहने एवं अवार्ड प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, मितानिन कार्यक्रम को एनआरएचएम के तहत “आशा” (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के रूप में शामिल किया गया। डॉ. अग्रवाल ने वर्ष 2005-07 में बस्तर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने वामपंथी उग्रवाद के शिकार सैकड़ों जवानों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वास्थ्य सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, छत्तीसगढ़ को कुष्ठ रोग मुक्त घोषित किया गया और विभिन्न अन्य स्वास्थ्य संकेतकों में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। डॉ. अग्रवाल को बोस्टन में हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और प्रशिक्षण कार्यक्रम में मितानिन कार्यक्रम की सफलता की कहानी प्रस्तुत करने का सौभाग्य भी मिला। श्रम सचिव के रूप में, डॉ. अग्रवाल ने राज्य में पहली बार छत्तीसगढ़ कर्मकार मंडल का गठन किया। आज इस निकाय के पास बहुत सारे संसाधन हैं और यह असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों की जरूरतों को पूरा कर रहा है। उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण श्रम सुधार भी किए, जिनके दूरगामी परिणाम हुए। उन्होंने ट्यूरिन (इटली) में ILO द्वारा आयोजित मानव तस्करी के प्रतिबन्ध पर एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। राजस्व एवं सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव के रूप में उन्होंने राजधानी को रायपुर से नया रायपुर स्थानांतरित करने का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया तथा नए सचिवालय भवन यानी महानदी भवन का संचालन सफलतापूर्वक कराया। सरकार का काम सुगम तरीके से हो तथा अधिकारी कर्मचारियों को भी किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए इंद्रावती भवन का संचालन इनके द्वारा किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान ही राज्य के सभी नवगठित जिलों के लिए नए कलेक्ट्रेट भवनों की स्वीकृति दी गई।

उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राज्य के जीईआर में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए तथा रूसा कार्यक्रम के तहत राज्य के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी गई। इसी दौरान सहायक प्राध्यापक को प्रौणामि महाविद्यालयों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा एवं अधोसंरचनात्मक सुधार के अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए ,पहली बार कई महाविद्यालयों ने मान्यता प्रक्रिया से गुजरते हुए NAAC से A ग्रेड प्राप्त किया। राज्य गठन के बाद एवं पहली बार छात्रसंघ चुनाव करवाया गया था।

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