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इन दोनो डॉक्टर को गिरफ्तार,साथ में,नाबालिग ब्लड सैंपल को बदलने का आरोप, नाबालिग समेत 9 लोगों की गिरफ्तारी

पुणे : पोर्शे कार एक्सीडेंट केस में पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने ससून जनरल हॉस्पिटल (Sassoon General Hospital) के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अजय तावरे और डॉक्टर श्रीहरी हरलोर को गिरफ्तार किया है। दोनों पर नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को बदलने का आरोप है, जिससे रिपोर्ट में शराब पीने की पुष्टि न हो। वहीं मामले में नाबालिग समेत 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है

 

 

पुलिस ने बताया कि आरोपी नाबालिग का दो बार एल्कोहॉल ब्लड टेस्ट कराया गया था। इसमें से पहले सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आई थी, लेकिन दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। दूसरे टेस्ट में आरोपी के ब्लड में एल्कोहॉल मिला था।

दोनों डॉक्टरों पर पुलिस को शक है कि इन्होंने ब्लड सैंपल गायब कर दिया था। साथ ही ऐसे शख्स से ब्लड सैंपल को रिप्लेस किया, जिसने नशा न किया हो। यहीं वजह रही कि जब सैंपल की जांच की गई तो शराब की पुष्टि नहीं हो पाई थी।

पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल को 25 मई को गिरफ्तार किया था। सुरेंद्र अग्रवाल पर पोते को बचाने के लिए ड्राइवर को बंगले में कैद रखने का आरोप है। पुलिस के मुताबिक सुरेंद्र अग्रवाल ने ड्राइवर को धमकाया और उसे घर नहीं जाने दिया। उन्होंने ड्राइवर का फोन ले लिया और उसे 19 से 20 मई तक अपने बंगले में कैद रखा। बाद में ड्राइवर की पत्नी ने उसे बंगले से मुक्त कराई थी।

इधर पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट केस में आरोपी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में वह शराब पीते नजर आ रहा है। वीडियो हादसे के पहले का बताया जा रहा है। इस पूरे मामले पर अब महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। CM शिंदे (CM Shinde) ने इस केस में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

19 मई को हुई था हादसा

बता दें कि पुणे पोर्शे हादसा 19 मई को हुआ था। पुणे के कल्याणीनगर में पोर्शे कार चला रहे नाबालिग लड़के ने बाइक सवार दो लोगों को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में दोनों की मौत हो गई। दोनों इंजीनियर थे, जिनके नाम अश्विनी कोष्टा और अनीश अवधिया हैं। मृतकों के घरवालों ने आरोप लगाए कि आरोपी नशे में गाड़ी चला रहा था। पुणे पोर्शे हादसे में पुलिस की शुरुआती जांच पर भी सवाल उठे। ऐसा कहा गया कि स्थानीय थाने की पुलिस ने जान-बूझकर कम धाराएं लगाईं, जिसकी वजह से जब यह मामला कोर्ट तक पहुंचा तो उसे तुरंत जमानत मिल गई। दरअसल, आरोपी नाबालिग को महज 15 घंटे के अंदर जमानत मिल गई थी।

 

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