चउचक खास

भगवान श्री रामचंद्र किसी एक धर्म या मजहब के नहीं है, हर इंसानों के हृदय में धड़कने वाले काव्य है : डॉ शाहिद अली, मीडिया शिक्षाविद्

राम मंदिर अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आगाज हो चुका है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में आज राम की अयोध्या का वैभव और उसके भव्य समारोह की चर्चा है। राम आएंगे, राम आएंगे की भक्ति में धुन पूरा भारत आज राम उत्सव की खुशी में झूम रहा है। भगवान राम की महिमा ही ऐसी है। अयोध्या से अमेरिका और पूरी दुनिया में एक ही गूंज है जय श्री राम। भगवान राम की जन्म भूमि से लेकर देश दुनिया के सभी मंदिरों में साज-सज्जा और करोड़ों भक्तों की भीड़ दिखाई दे रही है । राम मय है पूरा भारत। दुनिया में ऐसा अनोखा भगवान राम का दरबार शायद ही कभी देखने को मिले। राम राम लाखों करोड़ों हृदय में बसे हैं यही कारण है कि भगवान श्री रामचंद्र किसी एक धर्म या मजहब के नहीं है बल्कि हर इंसानों के हृदय में धड़कने वाले काव्य है जिसे हर कोई मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जानता है। रामनवमी के अवसर पर कला, साहित्य और दर्शन के विद्वान हिदायत अली कमलाकर ऐसे बिरले व्यक्ति रहे जिन्होंने रामलला के पूरे जीवन का और उनके आदर्शों का गहन अध्ययन किया। कवि ह्रदय हिदायत अली कमलाकर कि यह खासियत रही कि हर रामनवमी पर वे राम की कथा बड़े ही भक्ति भाव से कहा करते थे उनका यह मानना था कि भगवान राम में विलक्षण शक्ति है और पूरे विश्व को उनके आदर्श आज भी मानव को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा देते हैं। प्रसंग वश अयोध्या में राम भगवान के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पावन समय में हिदायत अली कमलाकर सद्भावना का ऐसा उदाहरण बनते हैं जिनके द्वारा चार खंड काव्य संग्रह ऐसे अनुपम दस्तावेज हैं जिसे पढ़कर यह समझ सकता है की रामलला हर मानव में भक्ति के सागर है। श्री हिदायत अली कमलाकर के लिखित खंडकाव्य में समर्थ राम, कैकयी का संताप, अर्जुन का मोह मर्दन और नर नारी नारीसश्वर को पढ़ना आज के समय में बेहद प्रासंगिक है जिसे उन्होंने वर्ष 2006 में रामनवमी के अवसर पर लोकार्पित किया था। समर्थ राम लिखकर उन्होंने यह माना था कि उनके जीवन का लक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम राम को लिखकर पूरा हो गया। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा था कि राम तुम्हारा नाम स्वयं काव्य है कोई कभी बन जाए सहज संभव है हिंदी साहित्य में जितना अधिक राम पर लिखा गया है उतना अन्य किसी पौराणिक पात्र पर नहीं राम का चरित्र अनुपम अद्वितीय चिरपुरातन होते हुए भी चिरनवीन है। राम का व्यक्तित्व गहन गंभीर विशाल महासागर की भांति है जिसमें जितनी गहराई तक गोता लगाएंगे उतने ही चमकदार बेशकीमती मोती पाएंगे कविवर श्री हिदायत अली कमलाकर ने भी इस परम पावन महासागर में गहरे तक डुबकी लगाई और जो बहुमूल्य मुक्ता निकाल कर लाए उसे नाम दिया ‘समर्थ राम’ । कवि ने वंदना के पांच प्रारंभिक छंदों के सिवाय 84 चौपदों में छंदबद्ध ‘समर्थ राम’ अपने आकार – प्रकार और भाव – भंगिमा से महा प्राण पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला रचित काव्य राम की शक्ति पूजा की स्मृति दिलाता है । कवि श्री कमलाकर काव्य के प्रारंभ में ही अपनी प्रेरणा एवं आशय स्पष्ट करते हैं कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को व्याख्यित करने हेतु राम से उत्तम अन्य कोई चरित्र नहीं है क्योंकि
राम संस्कारों के संयत- संयम सौरभ हैं,
भारतीय संस्कृति – सभ्यता के गौरव हैं ।
राम का यह समय एक अनोखी घटना है, जिसमें सारा संसार पूरे उत्साह और उमंग के साथ राम मय हो रहा है। इसलिए यह समय उन एकाग्र पथिकों की रचना यात्रा से रुबरु होने का भी है जो मजहब के भाष्य में भी राम के काफी करीब दिखाई देते हैं। समर्थ राम में कवि कमलाकर का मानना है कि राम एक चिंतक मनीषी भी हैं। इसलिए लिखते हैं –
राम मेरे अनंत, अनादि, अपरिमेय हैं
विश्वास हैं अभी राम मन की आस्था के
आर्यावर्त की शांति के ध्वज वाहक राम है
राम है सर्वत्र सर्वस्व मनुष्यता की कथा के
आओ हृदय पर चढ़े दूषित पटल को
खोलकर देखें वास्तव में राम क्या है
धर्म भाषा द्वेष को हम भूल कर
जय बोलकर देखें वास्तव में राम क्या हैं।
कमलाकर जी की समर्थ राम में वंदना से राम की गौरव गाथा की झलक मिलती है-
बिना राम के कौन विश्व की करें कल्पना
बिना राम के पूर्ण कहां आराध्य अर्चना
राम शांति के प्रबल – प्रकट प्रथम नायक हैं
इति श्री समृद्धि सिद्धि के वर दायक हैं
वंदन है अभिराम, तुम्हारा शत-शत वंदन
रघुवंश की लाज कौशल्या देवी नंदन
राम महासागर से उपजी समर्थ राम मन हृदय
कमलाकर गा रहे कृपा से मां सरस्वती सदय।
समर्थ राम में कोई 16 बरस पहले कवि कमलाकर ने लिखा –
नीरज सा खिल उठा श्रीमुख उठे राम,
मनो मलि की नहीं तनिक भी मुख पर छाया
पग- पग पर जय-विजय चली अहो राम चले
ज्योतिर्मय में हो उठा ब्रह्म नवदीप जलाया
सौभाग्यशाली हम की हो यदि राम जैसे
सद आचरण सद्भावना सद संस्कार
सत्य निष्ठा सत्य भक्ति सत्य कर्म
स्वाभिमानी सत्य दानी सत्य विचार।

समर्थ राम में विलक्षण शक्ति के प्रतीक राम के प्रति अथाह प्रेम को अपनी क़लम से उकेरने वाले कमलाकर जी ने ‘सबके राम, मन में राम’ को बहुत ही संजीदगी से अभिव्यक्त किया है। आज अयोध्या में राम आएंगे। राम का महाद्वीप जगमगा रहा है। आस्था के महामंदिर में राम दर्शन की भीड़ है। भारत भूमि जय श्रीराम के घोष से गूंजायमान है। मंदिर का हर कोना दीपों की रोशनी में नहाया हुआ है। घर-घर में दिवाली है। राम जीवन है। राम संस्कारों में हैं। राम सद्भावना का संदेश हैं। राम धर्म, कर्म और जीवन की सच्ची परिभाषा हैं। इसलिए राम को सच्चे अर्थों में जीने वाले कमलाकर जी की तरह हर संप्रदाय में मोती की तरह हैं। यही राम की शक्ति है। राम लीला है। राम सुख है। राम ईश्वर है। राम का नमन है। राम का ह्रदय है। राम का प्रण है। राम की प्रतिज्ञा है। राम का सागर है और राम का संसार है। नए भारत के अमृत काल में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का यह उत्सव हर मानव में राम के आदर्शों का संदेश, संकल्प और सद्भावना का संचार करे, ये मनोकामना करोड़ों – करोड़ों हृदय में समा जाए और हम अपने राम को अपने ह्रदय में बसा लें बिल्कुल राम भक्त हनुमान की तरह।

जय श्रीराम।

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