CGPSC घोटाले की जांच करेगी सीबीआई, विष्णुदेव साय कैबिनेट का बड़ा फैसला

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में लोक सेवा आयोग (पीएससी) की भर्ती में गड़बड़ी के लगे आरोपों की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी करेगी। विष्णुदेव साय कैबिनेट ने इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है।
बता दें कि सीजी पीएससी की भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगा है। पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी सहित अन्य आईएएस, आईपीएस अफसरों और नेताओं के रिश्तेदाराें के चयन का आरोप लगा है। यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान पीएससी की भर्ती में घोटला बड़ा मुद्दा बना था। भाजपा ने सत्ता में आने पर इस मामले की जांच कराने और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने का वादा किया था। भाजपा की सरकार बनने के बाद से युवा जांच की घोषणा का इंतजार कर रहे थे।
पीएससी की परीक्षा में अफसर ही नहीं, बल्कि नेताओं के बच्चे भी उपकृत हुए हैं। इनमें पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी कठघरे में हैं। इस अलावा राजभवन के सचिव अमृत खलखो के बेटे व बेटी शामिल हैं। इसे लेकर छात्रों का कहा है कि पीएससी की परीक्षाओं में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ है। इससे पहले भी पीएससी की भूमिका पर सवाल उठ चुके हैं।
ईओडब्ल्यू से बारीकी से जांच की मांग
इस पूरे मामले की ईओडब्ल्यू से जांच कराने की मांग भी चल रही है, जिससे जिन लोगों पर शक है, उनके खिलाफ सभी पहलुओं पर जांच हो जाएगी। आर्थिक रूप से जो लाभ हासिल किया गया, वहां खपाया गया है, यह पता चला जाएगा। सिर्फ पीएससी ही नहीं, बल्कि पहले जो भी परीक्षाएं हुई हैं, उसमें कुछ खास वर्ग के लोगों को लाभ दिलाने की बात भी आई थी।
कलेक्टर के बेटे के चयन पर सवाल
पीएससी-2021 ही नहीं, बल्कि 2022 में कलेक्टर के बेटे के चयन के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रया आई थी। बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं, कमजोर आर्थिक स्थिति के बाद भी मेहनत के साथ आगे पहुंचे। ऐसे समय में जब कलेक्टर के बेटे का डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट में सलेक्शन होता है तो पूरी आरक्षण की व्यवस्था पर समाज के लोग ही सवाल उठाते हैं।
बता दें कि इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की है।
पीएससी घोटाले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने आज कड़े तेवर दिखाए। बहस की वायरल वीडियो में चीफ जस्टिस कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि इन 18 की नियुक्ति रोक दी जाए। हालांकि, ये हाई कोर्ट का अधिकारिक आदेश नहीं है। अगली सुनवाई कल सुबह होगी। बता दें, पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की याचिका पर हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कंवर की तरफ से अधिवक्ता संजय अग्रवाल खड़े हुए। पता चला है, कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर याचिकाकर्ता से कुछ जानकारी कल तक पेश करने कहा है। कल इस मामले पर फिर सुनवाई होगी।
मगर सुनवाई की जो वीडियो वायरल हो रही है, वह काफी गंभीर है। इसमें चीफ जस्टिक कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि ये ठीक है कि बड़े पदों पर बैठे लोगों के बच्चे भी ऐसे पदों पर सलेक्ट हो सकते हैं। मगर ऐसा क्या संयोग कि पीएससी चेयरमैन और सिकरेटी के क्लोज नाते-रिश्तेदारों का चयन हो जाए। चीफ जस्टिस ने बहस के दौरान पीएससी चेयरमैन को पार्टी न बनाने पर सवाल किया तो ननकीराम के वकील ने कहा, सर…पीएससी चेयरमैन आर्टिकल 315 याने संवैधानिक पद है। इस पर सीजे ने कहा, ओके। इसके बाद वे आर्डर लिखाने लगे…जिसमें उन्होंने पूछा कि इन 18 लोगों की नियुक्ति हुई है या नहीं अभी? वकीलों ने बताया कि अभी ट्रेनिंग वगैरह चल रही है। नियुक्ति पर वस्तुस्थिति का पता लगाते तक चीफ जस्टिस ने कल तक के लिए आदेश रोक दिया। कल सुबह सुनवाई के बाद नियुक्ति की जानकारी मिलने के बाद आदेश जारी होगा।