जीवन परिचय

Teacher’s Day: छात्र-छात्राओं के बीच लोकप्रिय थे डॉ. राधाकृष्णन, इस वजह से हुई शिक्षक दिवस की शुरुआत

Teacher’s Day 2023: सितंबर महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने में में जनमाष्टमी से लेकर गणेश चतुर्थी समेत कई अन्य त्योहार आएंगे। लेकिन इसके साथ ही एक अन्य अहम दिन आएगा इस माह में आएगा और वह है शिक्षक दिवस। आज से ठीक चार दिन बाद यानी कि 5 सितंबर, 2023 को देश भर में टीचर्स डे बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इसी अवसर आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी वजह से शिक्षक दिवस की शुरुआत हुई। उनका नाम है, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन।

डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके को बतौर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहीं, छात्र-छात्राओं के बीच इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें एक बार स्टेशन तक छोड़ने के लिए उनके स्टूडेंट्स फूलों से सजी गाड़ी में लेकर उन्हें गए थे। आइए डालते हैं उनके जिंदगी से जुड़े कुछ और फैकट्स पर नजर।

1. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तानी में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी और माता का नाम सीताम्मा था। उनकी शादी Sivakamu से हुई थी। और वह पांच बेटियों और एक बेटे के पिता थे।

2. इनकी प्रारंभिक शिक्षा लूनर्थ मिशनरी स्कूल, तिरुपति और वेल्लूर में हुई है। वे बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होशियार थे। शुरुआती एजुकेशन पूरी करने के बाद डॉ. राधाकृष्णन ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने फिलोसोफी में मास्टर की डिग्री ली थी। वहीं, साल 1916 में मद्रास रेजिडेंसी कॉलेज में बतौर असिस्‍टेंट प्रोफेसर के रूप में पढ़ाना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने लंबे समय तक अध्यापन कार्य किया।

3. साल 1931 से 1936 तक, वह आंध्र विश्वविद्यालय में कुलपति रहे थे। इसके बाद साल 1939 से 1948 तक, वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर भी थे। इसके बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय में वह 1953 से 1962 तक चांसलर रहे।

4.डॉ. राधाकृष्णन  के प्रति छात्र-छात्राओं के बीच बेहद लोकप्रिय थे। स्टूडेंट्स के मन में उनके प्रति बेहद सम्मान था। एक बार का वाकया है कि कलकत्ता विश्वविद्यालय में शामिल होने के लिए मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉ. राधाकृष्णन को मैसूर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उन्हें फूलों से सजी हुई गाड़ी में स्टेशन तक ले गए थे।

5. साल 1952 में डॉ. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने थे और 1962 में वे स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने।

6 . ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने डॉ. राधाकृष्णन की याद में राधाकृष्णन Chevening स्कॉलरशिप और राधाकृष्णन मेमोरियल अवॉर्ड की शुरुआत की थी।

7. साल 1975 में 17 अप्रैल को उनका निधन हो गया था।

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