ग्राम पवनी में छतीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार भोजली का धूमधाम से किया गया भोलजी विसर्जन
![](https://www.chauchakmedia.in/wp-content/uploads/2023/08/WhatsApp-Image-2023-08-31-at-19.45.03-780x470.jpeg)
सारंगढ-बिलाईगढ़ । छतीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार भोजली जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन का स्वरूप है। गुरुवार को बिलाईगढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत पवनी मे भोजली तिहार बडी धूमधाम से मनाया गया। जिसमें ग्राम के महिला और युवतियों द्वारा बड़े ही उत्साह से 10 दिवस तक भोजली की सेवा के बाद भोजली विसर्जन का कार्यक्रम राधाकृष्ण मंदिर चौक में रखा गया। जिसमें बच्चों की उत्साहवर्धन के लिए इनाम भी रखा गया। जिसमें प्रथम पुरुस्कार डांडिया समिति सड़क पारा, दूसरा पुरुस्कार सारदा महिला समूह लोहारपारा और तीसरा पुरुस्कार कर्मा समिति सदरपारा को दिया गया । फिर सिर पर भोजली को रखकर विसर्जन यात्रा निकाली गयी। जिसमें पूरे ग्राम वासी द्वारा भोजली गीत गाकर डीजे बाजे के साथ गांव के गली मुहल्ले होते हुए नदी में इसे विसर्जित किया गया । इस त्योहार में ऐसी मान्यता है। कि 10 दिन पहले भोजली की बुआई की जाती है। हर रोज शाम को भोजली गीत का आयोजन रखा जाता गया और देवी की तरह पूजा-अर्चना की की गई इसके बाद राखी के दूसरे दिन शुक्रवार को इसे विसर्जित किया गया।
इस मौके पर ग्राम पंचायत पवनी सरपंच महेंद्र श्रीवास ने कहा कि मित्रता और आदर का प्रतीक भोजली तिहार छत्तीसगढ़ का पारंपरिक तिहार है। उन्होंने कहा कि भोजली तिहार आने वाली अच्छी फसल का प्रतीक भी है। उन्होंने सभी के लिए सुख शांति व हरियाली की कामना की। छत्तीसगढ में भोजली का त्यौहार पारंपरिक रूप से गीत गाकर मनाया जाता है । और पंचायत के द्वारा महिलाओं में उत्साह बढ़ाने के लिए इनाम दिया जाता है।
छत्तीसगढ़ में भोजली त्यौहार कब मनाया जाता है
छत्तीसगढ़ का यह लोकपर्व रक्षाबंधन के दूसरे दिन अर्थात कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। भोजली को सावन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को घर में टोकरी में उगाने के लिए गेहूं के दाने को भिगोकर बोया जाता है और सात दिन तक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर खूब सेवा की जाती है।