चाइल्ड-पोर्न शेयर करना ही नहीं, मोबाइल में रखना भी अपराध..5 साल की सजा का प्रावधान
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मध्य प्रदेश : वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्न देखना, डाउनलोड करना, शेयर या फॉरवर्ड करना आपको जेल पहुंचा सकता है। इंदौर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को वायरल करने पर पुलिस 8 एफआईआर कर चुकी है। इनमें से 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों और एफआईआर की संख्या और बढ़ सकती है।
आरोपियों ने सफाई दी है कि गलती से कंटेंट अपलोड या शेयर हो गया था। दरअसल, साइबर पुलिस की AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए डिजिटल पेट्रोलिंग से ये लोग पकड़े गए हैं। इसके लिए इंटरपोल सहित देशभर की पुलिस लाइनअप है।
5 साल तक की सजा का प्रावधान
साइबर सेल के SP जितेंद्र सिंह बताते हैं कि भारत में IT एक्ट 2000 की धारा 67-बी के तहत केस दर्ज किया जा रहा है। चाइल्ड सेक्सुअली एक्सप्लॉइटेड मटेरियल का यदि कोई पब्लिश करता है, उसे अपलोड या शेयर करता है या ऐसा करने में सहयोग करता है तो धारा 67-बी के तहत 5 साल की सजा का प्रावधान है। दूसरी बार ऐसा ही अपराध करने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी को ब्राउज करना, डाउनलोड करना, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट (मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट) में स्टोर करना भी अपराध की श्रेणी में है और गंभीर अपराध माना जाता है।
SP सिंह ने बताया कि AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए पूरी निगरानी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर किया गया पोस्ट AI ट्रेक करता है। इसके बाद उसे पोर्नोग्राफी कंटेंट है या नहीं, यह मेनुअली क्रॉस चेक भी किया जाता है। सभी एजेंसियां और प्लेटफॉर्म ये डाटा सरकार से शेयर करती है जहां से पुलिस तक आता है। यदि कंटेंट इस कैटेगरी में आता है तो संबंधित एकाउंट पर केस दर्ज कर गिरफ्तारी की जाती है।
इंडिया से बाहर का कंटेंट, महिला के नाम पुरुषों ने बनाई थी इंस्टा ID
इंदौर पुलिस ने गांधी नगर, सदर बाजार, एरोड्रम, आजाद नगर थाने में केस दर्ज किए हैं। डीसीपी जोन-1 आदित्य मिश्रा ने बताया चाइल्ड पोर्नोग्राफी केस में 6 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। 8 एफआईआर अब तक हुई है। आपत्तिजनक कंटेंट शेयर फॉरवर्ड करने वालों को भी आरोपी बनाया जा रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहली बार चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े वीडियो अपलोड किए हैं, उन्हें भी आरोपी बनाया है। VIDEO किसने बनाया है, यह अलग विषय है। VIDEO कंटेंट इंडिया से बाहर का भी है। कुछ इंडियन भी हैं। ज्यादातर वीडियो इंस्टाग्राम पर रील्स के रूप में डाले गए थे।
वीडियो किस-किस को शेयर हुआ, आगे कहां तक गया ये भी पता लगाया जा रहा है। ID जरूर महिला के नाम से बनाई गई लेकिन पकड़े गए सभी आरोपी पुरुष हैं। बता दें एडल्ट फिल्मों को लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश, बैंकॉक, थाईलैंड बड़े मार्केट हैं। यहां इस तरह का कंटेंट तैयार कर इसे वायरल किया जाता है।
ये है बड़ा खतरा
साइबर पुलिस का मानना है कि चाइल्ड पोर्न से बच्चों को बड़ा खतरा है। कई बार वे ही अनजाने में इस कंटेंट को फॉरवर्ड कर देते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के मोबाइल का पैरेंटल कंट्रोल अपने पास रखें और समय-समय पर उसे चैक करते रहें। क्योंकि पैरेंट्स पता नहीं कर पाते कि बच्चों ने मोबाइल पर क्या देखा। यदि किसी बच्चे के मोबाइल में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कंटेंट मिलता है या अपलोड-वायरल कर देता है तो परेशानी बढ़ सकती है। किसी भी माध्यम से बच्चों के अश्लील वीडियो-फोटो प्राप्त होने पर पुलिस स्टेशन और एनसीआरपी पोर्टल साइबर क्राइम पर रिपोर्ट कर सकते हैं।
पेरेंट्स को समझना चाहिए कि बच्चों के मनोविज्ञान पर इसका बहुत ही गहरा असर होता है। बच्चों को महसूस होना चाहिए कि आप अच्छी या बुरी, हर परिस्थिति में उनके साथ हैं। बच्चों में ये विश्वास होना चाहिए कि वो अपनी हर एक पर्सनल बात आपसे सहज रूप से शेयर कर सकें। पेरेंट्स को डिजिटल मीडिया और इंटरनेट के बारे में भी बच्चों को जागरूक करना होगा और इसके खतरों को लेकर आगाह करते रहना होगा। अगर बच्चों के व्यवहार में बहुत ज्यादा फर्क दिख रहा है तो किसी मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें।
डार्क वेब में क्रिप्टो के जरिए होती है पोर्न की खरीद-फरोख्त
पुलिस की तहकीकात में पता चला कि कोविड के दौरान व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप पर चाइल्ड पोर्न कंटेंट से जुड़े ग्रुप्स की तादाद में उछाल आया। रैकेट में शामिल लोग इसी तरह के चैनल्स के जरिए चाइल्ड पोर्न कंटेंट लोगों तक पहुंचाते हैं। डार्क वेब में इस तरह के कंटेंट की खरीद फरोख्त होती है और क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट किया जाता है। कंटेंट खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं हैं। पुलिस इस तरह के कंटेंट और इसकी खरीद-फरोख्त को पकड़ने के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है।
एमपी सहित अन्य राज्यों में फैले हैं रैकेट
पोर्न कंटेंट तैयार करना चाइल्ड पोर्नोग्राफी रैकेट का छोटा सा और बिखरा हुआ हिस्सा है, लेकिन तैयार कंटेंट को लोगों तक पहुंचाना, इसके लिए नेटवर्क तैयार करना, कंटेंट बेचकर पैसे कमाना और बार-बार कंटेंट परोसते रहना, चाइल्ड पोर्न रैकेट में ये काम पूरी प्लानिंग और संगठित रूप से किया जाता है। नाबालिग से लेकर वयस्क तक इस पोर्न कंटेंट को सर्कुलेट करते हैं। राजस्थान, MP, UP, बिहार से लेकर तमिलनाडु तक इनका नेटवर्क और लोग फैले हुए हैं।
80% पीड़ित 14 साल से कम उम्र की बच्चियां
इंटरपोल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2017 से 2020 के बीच भारत में ऑनलाइन चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज के 24 लाख मामले सामने आए हैं। शिकार बनाए गए बच्चों में 80% हिस्सा 14 साल से कम उम्र की बच्चियां हैं।
अब तक CBI ने इंटरनेट और डार्क वेब की दुनिया में 300 ऐसे ग्रुप्स की पहचान की है, जिस पर चाइल्ड पोर्न कंटेंट शेयर किया जाता है। ये ग्रुप्स 100 से ज्यादा देशों में फैले हुए हैं। इसमें भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ ही अमेरिका, नाइजीरिया, अजरबैजान, यमन और मलेशिया जैसे देश शामिल हैं।
चाइल्ड पोर्न कंटेंट भारत में सबसे ज्यादा
सेक्शुअल एब्यूज मटेरियल (CSAM) पर काम करने वाले अमेरिकी NGO नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइडेट चिल्ड्रेन (NCMEC) के मुताबिक चाइल्ड पोर्न से जुड़े कंटेंट के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। भारत के बाद लिस्ट में साल 2020 में NCMEC ने साइबरटिप नाम की एजेंसी को 2.17 करोड़ सीसैम कंटेंट की रिपोर्ट्स दीं। 2019 के मुकाबले साल 2020 में सीसैम कंटेंट में 28% की बढ़ोतरी देखने को मिली। इस बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण कोविडकाल रहा है।