जीवन परिचय

जब साल 2014 के चुनाव में मोदी लहर में दिग्गज हार रहे थे, तब कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने लहराया था जीत का परचम

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष का पड़ संभाल रहे मल्लिकार्जुन खड़गे आज अपना 81 वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं. कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में  जहां मल्लिकार्जुन खड़गे को जहां 7897 वोट मिले, वहीं शशि थरूर को करीब 1000 वोट मिले. इस तरह खड़गे ने करीब 8 गुना ज्यादा वोट से थरूर को हरा दिया था. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हो गए हैं. इससे पहले 1971 में जगजीवन राम के कांग्रेस अध्यक्ष बने थे. खड़गे का नाता भले ही दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक से है, मगर वह अच्छी हिंदी बोल लेते हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे लगातार नौ बार विधायक रह चुके हैं. इतना ही नहीं, जब साल 2014 के चुनाव में मोदी लहर में दिग्गज हार रहे थे, तब भी खड़गे ने जीत का परचम लहराया था. हालांक‍ि वह 2019 में वह लोकसभा चुनाव हार गए थे.

प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर संसद तक में भी खड़गे अपनी बात ज्यादातर हिंदी में रखते हैं. 21 जुलाई 1942 को जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे राजनीति में आने से पहले वकालत के पेशे में थे. उनका जन्म कर्नाटक में गरीब परिवार में हुआ था और उन्होंने स्नातक और वकालत की पढ़ाई की है. मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से आने वाले ऐसे दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाली है. इससे पहले कर्नाटक के ही एस निजालिंगप्पा कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं.

गांधी परिवार के वफादार माने जाते हैं खड़गे
लगातार 9 बार विधायक बनने वाले 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे 50 साल से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्हें गांधी-नेहरू का वफादार माना जाता है और हाल ही में उन्होंने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिया है. मल्लिकार्जुन खड़गे महादलित समुदाय से आते हैं. अगर उनकी राजनीति की बात की जाए तो वह पहले केवल वकालत करते थे. कांग्रेस में शामिल होने से पहले खड़गे डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर से प्रेरित होकर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) में शामिल हुए थे.

छात्र संघ से की शुरुआत
हालांकि, खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ के नेता के रूप में की थी. सरकारी कॉलेज गुलबर्ग में उन्हें छात्रसंघ के महासचिव के रूप में चुना गया था. 1969 में वह एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार बने थे. वह संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता भी थे और मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. 1969 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने.

लगातार नौ बार विधायक रहे हैं खड़गे
खड़गे ने पहली बार 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा और गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की. 1976 में उन्हें प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री नियुक्त किया गया था. 1978 में वह दूसरी बार गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए और ग्रामीण विकास और पंचायत राज राज्य मंत्री नियुक्त किए गए. 1980 में वह गुंडू राव कैबिनेट में राजस्व मंत्री बने. 1983 में वह तीसरी बार गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए. 1985 में वह चौथी बार गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा जीते और उन्हें कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष का उप नेता नियुक्त किया गया. 1989 में वह गुरमीतकल से पांचवीं बार भी जीतने में कामयाब रहे. इसी तरह जीतते-जीतते 2004 में खड़गे लगातार आठवीं बार विधानसभा चुनाव जीते थे. 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2008 में वह लगातार नौवीं बार चीतापुर से विधानसभा के लिए चुने गए. खड़गे को 2008 में दूसरी बार विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था. 2009 में खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और अपना लगातार दसवां चुनाव जीता.

मोदी लहर में भी नहीं हारे थे खड़गे
मोदी लहर होने के बावजूद 2014 के लोकसभा चुनाव में खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 13,404 से अधिक मतों से हराया. जून में उन्हें लोकसभा में कांग्रेस पार्टी का नेता नियुक्त किया गया. हालांकि, खड़गे 2019 में नहीं जीत पाए थे और भाजपा के उम्मीदवार जी माधव ने उन्हें करीब 95 हजार वोटों के अंतर से हराया था. इसके बाद 12 जून 2020 को खड़गे कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुने गए. फरवरी 2021 में खड़गे को विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया. उन्होंने यूपीए सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में श्रम एवं रोजगार, रेलवे और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग संभाला है.

7 साल की उम्र में खड़गे ने खोया था मां
मल्लिकार्जुन खड़गे ने 7 साल की उम्र में अपनी मां और परिवार के कुछ सदस्यों को खो दिया था. उन्हें सांप्रदायिक तनाव की वजह से अपने जन्मस्थान को छोड़कर बगल के जिले कलबुर्गी जिसे पहले गुलबर्ग कहा जाता था शिफ्ट होना पड़ा था. उन्होंने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए सिनेमा थियेटर में नौकरी भी की थी. पिछले 12 चुनावों में वह 11 बार जीत चुके हैं. वह तीन बार मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे. वह 6 भाषाओं का ज्ञान रखते हैं. खड़गे ने 13 मई 1968 को राधाबाई से शादी की और उनकी दो बेटियां और तीन बेटे हैं.

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