उप्र/बिहार

उत्तर प्रदेश में महंगी हो सकती है बिजली, वित्तीय वर्ष में महंगी बिजली का झटका लगना तय

लखनऊ : गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा पावर कारपोरेशन प्रबंधन एक बार फिर प्रदेशवासियों को महंगी बिजली का झटका देने की तैयारी में जुट गया है। प्रबंधन की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पिछले चार वर्ष के दौरान बिजली की दर बढ़ाने के प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं दी गई। ऐसे में कारपोरेशन प्रबंधन ने आयोग के मौजूदा टैरिफ आर्डर के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिला किया है।

इसके साथ ही प्रबंधन, अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बिजली दर संबंधी प्रस्ताव को भी 15 अगस्त तक ही तैयार करने में जुट गया है जबकि नियमानुसार 30 नवंबर तक का समय है। दरअसल, चालू वित्तीय वर्ष में बिजली की दरों को यथावत रखने का निर्णय 25 मई को आयोग ने सुनाया था जबकि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने 18 से 23 प्रतिशत बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। आयोग के निर्णय के खिलाफ अब पावर कारपोरेशन की बिजली कंपनियों द्वारा गुपचुप तरीके से 11 जुलाई को अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल किया गया है।

ट्रिब्यूनल से बिजली कंपनियों के जीतने पर तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को इसी वित्तीय वर्ष में महंगी बिजली का झटका लगना तय है। बढ़ते घाटे और खर्चों को देखते हुए कारपोरेशन प्रबंधन की यह कोशिश भी है कि अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में बिजली की दरें बढ़ जाएं। इसके लिए प्रबंधन ने कंपनियों से इस वर्ष 30 जून तक के आंकडों के आधार पर ही वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) और बिजली दर का प्रस्ताव 15 अगस्त तक ही तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

गौर करने की बात यह है कि नियमानुसार एआरआर व दर संबंधी प्रस्ताव तैयार करने के लिए 30 सितंबर तक के आंकड़े लेना होता है। छह माह के आंकड़ों पर प्रस्ताव तैयार कर बिजली कंपनियों को 30 नवंबर तक उसे आयोग में दाखिल करना होता है। हालांकि, अबकी कारपोरेशन की जल्दबाजी के पीछे अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को माना जा रहा है। वैसे, बिजली महंगी होने से जनता की नाराजगी से बचने के लिए सरकार चाहेगी कि दरें लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही बढ़ें।

न महंगी होने देंगे बिजली

उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है बिजली महंगी नहीं होने दी जाएगी। वर्मा ने कहा कि मौजूदा टैरिफ में बढ़ोतरी के लिए बिजली कंपनियों द्वारा अपीलेट ट्रिब्यूनल में दायर मुकदमा पर उनकी नजर है। जरूरत पड़ने पर वह अपीलेट ट्रिब्यूनल भी पहुंचेंगे। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए टैरिफ कानून का उल्लंघन कर बिजली कंपनियां अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दर का प्रस्ताव तैयार कर रही हैं जिसे आयोग से खारिज कराएंगे। वर्मा का स्पष्ट तौर पर कहना है कि जब उपभोक्ताओं का ही बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है तब पावर कारपोरेशन प्रबंधन के चाहने के बावजूद अगले पांच वर्ष तक बिजली की दर बढ़ नहीं सकती है।

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