जीवन परिचय

विवादित बयानों से हुए चर्चित हुए महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी

17 जून: भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) एक भारतीय राजनेता हैं. वह 5 सितंबर 2019 से महाराष्ट्र के 22वें राज्यपाल हैं (Bhagat Singh Koshyari, Governor of Maharashtra). वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड के लिए पार्टी के पहले राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. उन्होंने 2001 से 2002 तक उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री के पद पर थे. उसके बाद, वे 2002 से 2003 तक उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.

जब उत्तराखंड अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, तब उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में एमएलसी के रूप में भी कार्यरत थे. बाद में उन्होंने उत्तराखंड से 2008 से 2014 तक राज्यसभा में सांसद और फिर नैनीताल-उधमसिंह नगर निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा में सांसद के रूप में कार्य किया. वह राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों और राष्ट्रीय संसद के दोनों सदनों में निर्वाचित होने का गौरव प्राप्त हुआ है (Bhagat Singh Koshyari Politicl Career).

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को ब्रिटिश राज के भारत के वर्तामान उत्तराखंड में हुआ था (Bhagat Singh Koshyari Age). उनके पिता गोपाल सिंह कोश्यारी और मां मोतीमा देवी थीं (Bhagat Singh Koshyari Parents). उन्होंने अल्मोड़ा कॉलेज, अल्मोड़ा  से अंग्रेजी में मास्टर डिग्री हासिल की है. वह अल्मोड़ा कॉलेज के छात्र संघ के महासचिव भी थे. साथ ही, उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद का भी प्रतिनिधित्व किया है (Bhagat Singh Koshyari Education).

एक शिक्षक और पत्रकार के रूप में उनका सफल करियर रहा है. उन्होंने कुछ वर्षों के लिए राजा इंटर कॉलेज, एटा जिला, उत्तर प्रदेश में लेक्चरर के रूपद पर थे. कोश्यारी 1975 से पिथौरागढ़, उत्तराखंड से प्रकाशित एक साप्ताहिक पर्वत पीयूष के संस्थापक और प्रबंध संपादक हैं (Bhagat Singh Koshyari Journalist). उन्होंने दो पुस्तकें, उत्तरांचल प्रदेश क्यूं? और उत्तरांचल संघर्ष एवं समाधान भी प्रकाशित की हैं

जिस तरह भगत सिंह कोश्यारी का कद था, उस तरह उन्हें बड़े पद नहीं मिल पाए. या यूं कहें कि बड़े पदों पर वो ज्यादा वक्त तक नहीं टिके. उत्तराखंड के बागेश्वर से आने वाले भगत सिंह कोश्यारी ने अल्मोड़ा यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की. कोश्यारी छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे, जिसके बाद वो आरएसएस से भी जुड़ गए. बतौर आरएसएस नेता उन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलनों में हिस्सा लिया और जेल भी गए.

भगत सिंह कोश्यारी का राजनीतिक सफर 1997 में शुरू हुआ, जब वो विधायक चुने गए. तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था. साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद वो ऊर्जा मंत्री रहे. इसके बाद भगत सिंह कोश्यारी को उनकी मेहनत का इनाम मिला और 2001 में उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बना दिया गया. हालांकि एक साल बाद चुनाव हुए और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई. यानी करीब एक साल तक कोश्यारी सीएम पद पर रहे.

साल 2007 में फिर विधानसभा चुनाव हुए और उत्तराखंड में बीजेपी ने एक बार फिर सरकार बनाई. इस बार कोश्यारी फिर से सीएम पद पर बैठने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन बीजेपी ने उनकी जगह भुवन चंद खंडूरी को सीएम बना दिया गया. इसके बाद 2008 में कोश्यारी को उत्तराखंड से राज्यसभा भेज दिया गया. इसके अलावा कोश्यारी उत्तराखंड बीजेपी के भी अध्यक्ष रहे.

उत्तराखंड की राजनीति में भगत सिंह कोश्यारी लगातार हाशिए पर आते रहे, क्योंकि वो आरएसएस के पुराने नेता रहे इसीलिए बीजेपी ने 2019 में उन्हें राज्यपाल का पद सौंप दिया. जिसके बाद इस पद पर रहते हुए वो काफी विवादों में रहे और ताजा शिवाजी महाराज विवाद के बीच उन्होंने पद छोड़ने की इच्छा जताई है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button