जीवन परिचय

अमिताभ की फ़िल्म में 49 सेकेंड का रोल, नक्सलवाद को छोड़ कैसे बने डिस्को डांसर

बॉलीवुड:  मिथुन चक्रवर्ती का उन गिने चुने अभिनेताओं में शुमार हैं, जिन्हें पहली ही फ़िल्म में राष्ट्रपति पुरस्कार मिल गया था लेकिन काम की तलाश ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी. सुपरस्टार मिथुन आज अपना 73 वां जन्मदिन माना रहे हैं.

यक़ीन भले ना हो लेकिन राष्ट्रपति पुरस्कार जीतने के बाद भी मिथुन चक्रवर्ती को अमिताभ बच्चन की एक फ़िल्म में महज़ 49 सेकेंड की भूमिका मिली थी.

16 जून 1950 को जन्मे मिथुन अपनी युवावस्था में कोलकाता अल्ट्रा लेफ़्ट विंग या नक्सलवाद की गतिविधियों से जुड़े लेकिन जल्दी ही सब छोड़कर बंबई आ गए थे.

19 साल की उम्र में 11 सिंतबर 1969 में मिथुन बंबई आए थे, अपने अतीत को पीछे छोड़ दोस्तों की मदद से एफ़टीटीआई में दाखिला लिया. उसी साल कॉन्वोकेशन में हिस्सा लेने के लिए वरिष्ठ निर्देशक मृणाल सेन भी आए हुए थे.

तभी मृणाल सेन की नज़र एक लंबे कद काठी वाले सांवले लड़के पर पड़ी .

वाइल्ड फ़िल्म्स इंडिया के एक आर्काइवल इंटरव्यू में वो बताते हैं, “वहाँ ऋषिकेश मुखर्जी जैसे लोग थे. लेकिन ये लड़का बिना हमारा लिहाज़ किए साथी लड़कियों के साथ ऐसे हँसी ठिठोली कर रहा था जैसे कोई लाज शर्म ही न हो. ये बात मेरे दिमाग़ में रह गई. एक अच्छे एक्टर की पहचान होती है कि उसे बेशर्म होना चाहिए, उसमें कोई झिझक नहीं होनी चाहिए.”

“मैंने ऋषिकेश मुखर्जी से पूछा कि ये कौन है, तो उन्होंने बताया कि एक बंगाली लड़का है और अच्छा एक्टर है. दो साल बाद मैं बंगाली फ़िल्म ‘मृगया’ बना रहा था, जिसमें मुझे एक युवा आदिवासी की तलाश थी. तब मुझे अचानक उस लड़के का चेहरा याद आया. मैंने अपने कैमरापर्सन को कहा दो साल पहले एक बंगाली लड़का एफ़टीटीआई से निकला था, लंबा, सांवला, उसे ढूँढो और फ़ोटो भेजो.”

उन दिनों मिथुन बंबई में संघर्ष कर रहे थे. फ़िल्मों में काम नहीं था तो हेलेन के डांस ग्रुप में शामिल हो अलग अलग समारोहों में डांस करते थे.

तब उन्होंने अपना नाम राणा रेज़ रख लिया था.

इस बीच मृणाल सेन के कैमरामैन ने राणा रेज़ यानी मिथुन को ढूँढा और फोटो मृणाल सेन को पहुँचाए.

कुछ दिन बाद ही मिथुन बिन बुलाए मृणाल सेन के पास पहुँच गए.

ये मृणाल सेन की पारखी नज़र ही रही होगी उन्होंने मिथुन को एक ग़रीब आदिवासी युवक घिसुया के रोल में साइन कर लिया.

इस तरह फ़िल्म इंडस्ट्री में मिथुन की एंट्री हुई और पहली ही फ़िल्म ‘मृगया’ में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल गया.

अमिताभ की फ़िल्म में 49 सेकेंड का रोल

मिथुन को तारीफ़ ख़ूब मिली लेकिन ‘मृगया’ के बाद रोल नहीं मिला. इंटरव्यू में मिथुन चक्रवर्ती ने बताया था, “वह दौर बहुत बुरा रहा. मेरे अभिनय की सराहना करते हुए काम का भरोसा तो सभी देते थे. लेकिन कोई काम नहीं देता था.”

अगर आपने 1976 में अमिताभ बच्चन और रेखा की फ़िल्म ‘दो अनजाने’ देखी हो तो उसमें एक सीन है जहाँ अमिताभ बच्चन शराब पीकर घर लौटते हैं और गली का एक सड़क छाप मवाली अमिताभ के साथ बवाल करता है.

कुल 49 सेकेंड का सीन है बस.. अगर आप तवज्जो न दें तो आपको पता भी न चले कि वो सड़क छाप मवाली दरअसल मिथुन चक्रवर्ती थे.

1977 और 78 में मिथुन छोटे मोटे रोल करते रहे. 1978 में आई राजेश खन्ना की ‘अमरदीप’ में भी छोटा सा रोल किया.

अमिताभ की फ़िल्म ‘दो अनजाने’ में 49 सेकेंड का काम करने वाले मिथुन ने ‘अग्निपथ में अमिताभ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और उन्हें फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला.

मिथुन वो एक्टर थे जिन्होंने ‘डिस्को डांसर’ की तो 1992 में आई बंगाली फ़िल्म ‘ताहेदेर कथा’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता.

1995 में ठेठ कॉमर्शियल फ़िल्म ‘जल्लाद’ में फ़िल्मफेयर का बेस्ट विलेन अवॉर्ड जीता तो 1999 में ‘स्वामी विवेकानंद’ के लिए तीसरा राष्ट्रीय पुरस्कार जीता.

लेकिन मिथुन की ज़िंदगी का एक और पहलू भी है. मिथुन जब लोकप्रियता की चरम पर थे तो सब छोड़कर ऊटी चले गए. वहाँ उन्होंने होटल बिज़नेस शुरू किया, उनकी गिनती सफल होटल कारोबारी के तौर पर भी होती है.

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