जीवन परिचय

मैं नरगिस से बहुत मोहब्बत करता हूं, सही लगे तो गले लगाइए

दिल्ली: सुनील दत्त ने एक्टिंग करियर में तो सफलता के झंडे गाड़े ही, साथ ही वह राजनीति में भी अव्वल रहे। सुनील 6  जून 1929 को झेलम में पैदा हुए थे, जो अब पाकिस्तान में है। संजय दत्त के पिता सुनील दत्त ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे और खुद को संभालते हुए सितारे की तरह चमके। सुनील ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में छह दशक का लंबा समय दिया और 50 से अधिक फिल्मों का हिस्सा रहे थे। आइए सुनील दत्त की 93 वीं जयंती पर उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अहम किस्से. इंडस्ट्री में 40 सालों तक के अपने एक्टिंग करियर में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड व 1968 में पद्मश्री दिया जा चुका है.

सुनील दत्त ने पांच वर्ष की नन्ही उम्र में पिता को खो दिया था, जिसके कारण उनका बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा। मां कुलवंती देवी ने किसी तरह बेटे की परवरिश की। इस दौरान सुनील ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और हायर एजुकेशन के लिए माया नगरी मुंबई आ गए। मुंबई में सुनील ने जय हिंद कॉलेज में एडमिशन लिया। सुनील जैसे-तैसे मुंबई तो आ गए, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। कोई-कोई दिन ऐसा भी गुजरता था जब सुनील के पास खाने को कुछ नहीं होता था। इसी कारण सुनील ने पढ़ाई को जारी रखते हुए नौकरी की तलाश शुरू कर दी। उस वक्त पेट पालने के लिए सुनील ने बस कंडक्टर की नौकरी की थी।

बस कंडक्टर की नौकरी करते हुए सुनील को विचार आया कि जीवन में कुछ बड़ा करने की जरूरत है। सुनील दत्त ने कॉलेज खत्म करने के बाद एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले रेडियो जॉकी की जॉब की थी। उस वक्त सुनील, रेडियो सेयलॉन में हिंदी के सबसे पसंदीदा अनाउंसर के पद पर थे। बेहतरीन नौकरी होने के बाद भी सुनील के जहन में एक्टर बनने की चाह पनपने लगी और आगे चलकर इसने जुनून का रूप ले लिया।

सुनील दत्त ने वर्षों तक आरजे की नौकरी जारी रखी। वहीं, उनकी किस्मत ने वर्ष 1955 में पलटी मारी और उन्हें पहली फिल्म मिल गई। फिल्म का नाम ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ था, जिसे रमेश सजगल ने डायरेक्टर किया था। हालांकि, यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। रमेश सजगल ने ही एक्टर का असली नाम बलराज दत्त बदलकर ‘सुनील दत्त’ रखा था। सुनील को स्टारडम वर्ष 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ से हासिल हुआ। इसके बाद उन्होंने करियर में आगे बढ़ते हुए ‘साधना’, ‘इंसान जाग उठा’, ‘मुझे जीने दो’, ‘खानदान’ सहित कई मूवी में बेहतरीन काम कर खूब तारीफें बटोरीं।

सुनील दत्त ने फिल्मों में अपना लोहा मनवाने के बाद राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा। उस वक्त देश में मनमोहन सरकार थी और सुनील दत्त राज्यसभा सांसद रहे थे। इसके अलावा उन्हें इसी सरकार में युवा और खेल विभाग के मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया था। सुनील दत्त ने इस क्षेत्र में रहते हुए तमाम जरूरतमंद लोगों की मदद की थी। हालांकि, इस दिग्गज कलाकार और सफल राजनेता ने 25 मई 2005 को हार्ट अटैक की वजह से दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

जब डॉन से मिलमे पहुंचे सुनील दत्त- 
सुनील दत्त और नरगिस का प्रेम इतना मजबूत था कि डॉन के इस मामले में ज्यादा दखल होने से खुद सुनील ने हिम्मत दिखाकर डॉन से बात करने पहुंच गए. उन्होंने उस डॉन से कहा कि ‘मैं नरगिस से बहुत मोहब्बत करता हूं, उनसे शादी करना चाहता हूं. हमेशा मैं उन्हें खुश रखूंगा. यह आपको गलत लगता है तो गोली मार दीजिए, सही लगे तो गले लगाइए.’ इतना सुनना था कि डॉन खुश हो गया और सुनील दत्त को गले से लगा लिया. फिर धूमधाम से नरगिस और सुनील दत्त की  साल 1958 में शादी हुई.

 

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