जीवन परिचय

ओलंपिक में ब्रोंज मैडल जीतने वाली कर्णम की कहानी, आंध्रप्रदेश की ‘IRON GIRL’

1 जून 2023: कर्णम मल्लेश्वरी एक सेवानिवृत्त भारतीय वेटलिफ्टर है. ये भारत की पहली महिला खिलाड़ी है, जिन्होंने ओलंपिक में मैडल जीता था. कर्णम असाधारण प्रतिभा की धनी थी, जिन्होंने मेहनत करके पूरी दुनिया के सामने अपने आपको साबित किया था. सन 2000 के ओलंपिक में ब्रोंज मैडल जीतने वाली कर्णम ने एक इतिहास रच दिया था. मल्लेश्वरी को आंध्रप्रदेश की ‘आयरन गर्ल’ कहा जाता है.

कर्णम का जन्म 1 जून 1975 में आंध्रप्रदेश के छोटे से गाँव अमदालावालासा, श्रीकाकुलम, में हुआ था. इनके पिता रेलवे सुरक्षा बल में कांस्टेबल थे. बचपन से ही इन्हें खेल कूद का शौक था. लेकिन इनका परिवार पुराने ख्याल का था, जो लड़कियों को ज्यादा बाहर आने जाने नहीं देता था. कर्णम अपनी माँ के बहुत करीब थी, उनकी माँ ने अपनी बेटी के शौक को जाना और उन्हें इस ओर ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. उनकी माँ ही कर्णम को गाँव के जिम ले गई, जहाँ उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई. 12 साल की कम उम्र में ही कर्णम जिम में व्यायाम करने लगी थी. कर्णम ने अपने शौक के साथ साथ पढाई को भी महत्व दिया, उन्होंने स्कूल की पढाई ZPPG स्कूल से पूरी की. कर्णम की चार बहन है, जिनमे से एक ‘कृष्णा कुमारी’, जो आज एक नेशनल लेवल की वेटलिफ्टर है.

मल्लेश्वरी को विभिन्न क्षेत्रों के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के, एक खेल परियोजना के तहत प्रशिक्षित किया गया.13 साल की उम्र में कर्णम ने पहली बार स्टेट लेवल पर अपना खेल शुरू किया. 1990 में इनको बहुत से नेशनल कैंप का हिस्सा बनाया गया. 1992 में  मल्लेश्वरी ने थाईलैंड के चिंग्मै में आयोजित एशियन चैम्पियनशीप में हिस्सा लिया और इनको यहाँ सिल्वर मैडल मिला. जिसके बाद ये पूरी दुनिया में फेमस हो गई, अभी प्रतिभा के चलते पूरी दुनिया में इन्हें जाना जाने लगा. मजबूत इरादे, एकाग्रता, इच्छा शक्ति एवं खेल के प्रति समर्पण के चलते मल्लेश्वरी ये गेम जीत पाई.

  • 1994 – इसके बाद मल्लेश्वरी ने 1994 में तुर्की में आयोजित वर्ल्ड चैम्पियनशीप में इतिहास कायम कर दिया, उन्होंने यहाँ 2 गोल्ड मैडल एवं 1 ब्रोंज मैडल जीता. इस प्रतियोगिता में मल्लेश्वरी को वेटलिफ्टिंग में दूसरा स्थान मिला, पहला स्थान चाइना के वांग शेंग को मिला था. लेकिन कुछ जांच पड़ताल के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया, क्यूंकि उन्होंने खेल के समय ड्रग्स का सेवन किया था. जिसके बाद मल्लेश्वरी को इस वर्ल्ड चैम्पियनशीप में पहला स्थान मिल गया. मल्लेश्वरी की ये सबसे बड़ी जीत थी, जिसमें उन्होंने भारत देश का नाम दुनिया में ऊँचा कर दिया था. आंध्रप्रदेश के छोटे से गाँव की मल्लेश्वरी ने अपनी प्रतिभा से सबको अचंभित कर दिया था.
  • 1995 – 1995 में मल्लेश्वरी ने कोरिया में हुए एशियन चैम्पियनशीप में 54 किलोग्राम क्लास में 113 किलो वेट उठाकर 3 गोल्ड मैडल जीते थे. 1994, 95, 96 लगातार तीन साल मल्लेश्वरी ने वर्ल्ड टाइटल अपने नाम किया था. मल्लेश्वरी के कोच लियोनिद तारानेंको थे, जो खुद एक वेटलिफ्टर थे, जिनके नाम अनेकों वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है.
  • 1997 – 1997 में इन्होने वेटलिफ्टर राजेश त्यागी से शादी कर ली, और खेल से कुछ समय का ब्रेक ले लिया. मल्लेश्वरी शादी के बाद आंध्रप्रदेश से हरियाणा के यमुना नगर रहने लगी.
  • 1998 – 1998 में मल्लेश्वरी वापस आई और बैंकाक में आयोजित एशियन गेम्स में भाग लिया. यहाँ भी मल्लेश्वरी ने अपनी प्रतिभा के चलते सिल्वर मैडल जीता.
  • 1999 – इसके बाद 1999 में एथेंस में वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशीप हुई, जिसमें मल्लेश्वरी ने भाग लिया, लेकिन वे इस वर्ल्ड चैम्पियनशीप को हार गई.
  • 2000 – इसके बाद सन 2000 में सिडनी में ओलंपिक गेम्स हुए, जिसमें भारत की ओर से मल्लेश्वरी ने क्वालीफाई किया और भारत का प्रतिनिधित्व करने वे सिडनी गई. यहाँ आयोजित वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में मल्लेश्वरी को ब्रोंज मैडल मिला, वे पहली भारतीय महिला थी, जिन्हें ओलंपिक में कोई मैडल मिला था. इस जीत के बाद, समस्त भारत में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी. प्रधानमंत्री से लेकर, देश के हर नागरिक ने मल्लेश्वरी को उनकी जीत की बधाई दी और भारत का नाम ऊँचा उठाने के लिए धन्यवाद किया. इस जीत के बाद मल्लेश्वरी को प्रधानमंत्री के साथ साथ, देश के कई लोगों द्वारा उपहार के तौर पर राशी प्रदान की गई. इस उपहार राशी एवं मेसेज से मल्लेश्वरी भाव विभोर हो गई, और उन्होंने अपने सभी प्रशंशको को धन्यवाद देते हुए, प्राउड फील किया. उन्होंने अपनी जीत का श्रेय अपने कोच और अपने परिवार को भी दिया.

मल्लेश्वरी लास्ट गेम –

1997 में राजेश त्यागी से शादी के बाद मल्लेश्वरी सन 2000 तक खेल में सक्रीय रही. 2001 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, जिसके बाद वे अपने पारिवारिक जीवन में व्यस्त हो गई. 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स से मल्लेश्वरी गेम में वापसी का विचार बना रही थी, लेकिन तभी अचानक उनके पिता की मौत हो गई, जिस वजह से मल्लेश्वरी उस गेम में हिस्सा नहीं ले पाई. इसके बाद सन 2004 के ओलंपिक में मल्लेश्वरी ने भाग लेने का मन बनाया, जिसके लिए उन्होंने क्वालीफाईइंग खेल खेला, लेकिन उन्हें अच्छा स्कोर नहीं मिला. इस हार से मल्लेश्वरी बहुत हताश हुई और इसके बाद उन्होंने वेटलिफ्टिंग से सन्यास लेने का मन बना लिया.

मल्लेश्वरी अचीवमेंट –

  • 1998, एशियन गेम्स में 63 किलो क्लास में सिल्वर मैडल जीता.
  • 1997, एशियन गेम्स में 54 किलो क्लास में सिल्वर मैडल जीता.
  • 1996 एशियन चैम्पियनशीप, जापान में गोल्ड मैडल जीता.
  • 1995 वर्ल्ड चैम्पियनशीप, चाइना में गोल्ड मैडल जीता.
  • 1995 एशियन चैम्पियनशीप, कोरिया 54 किलो क्लास में 3 गोल्ड मैडल जीते.
  • 1994 वर्ल्ड चैम्पियनशीप, इस्तांबुल में 2 गोल्ड मैडल एवं 1 सिल्वर मैडल जीता.
  • 1994 एशियन चैम्पियनशीप, कोरिया में 3 गोल्ड मैडल जीते.
  • 1999 कॉमनवेल्थ वीमेन रिकॉर्ड में 63 kg क्लास में 3 रिकॉर्ड बनाये थे.
  • मल्लेश्वरी ने 90-91 वजन वाले शरीर की 52 kg नेशनल चैम्पियनशीप को जीता था.
  • मल्लेश्वरी ने 90-98 वजन वाले शरीर की 54 kg नेशनल चैम्पियनशीप को जीता था.

मल्लेश्वरी अवार्ड्स –

  • 1994-95 में मल्लेश्वरी को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया.
  • 1995-96 में मल्लेश्वरी को खेल के सबसे बड़े सम्मान ‘राजीव गाँधी खेल रत्न’ से सम्मानित किया गया.
  • 1999 में उन्हें माननीय प्रधानमंत्री द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि मल्लेश्वरी ने इस जीत से देश का नाम बहुत ऊँचा किया, उनकी इस जीत को हमेशा याद किया जायेगा और देश की अन्य लड़कियां उनसे प्रेरणा प्राप्त करेंगी.

मल्लेश्वरी ने अपने 10 सालों के करियर में 11 गोल्ड मैडल, 3 सिल्वर मैडल एवं 1 ओलंपिक ब्रोंज मैडल जीता था. मल्लेश्वरी ने अपनी जीत से सभी आलोचकों के मुहं बंद कर दिए थे, जो लड़कियों को कमजोर समझते है. इनकी जीत से सबको सिखने मिला कि खेल सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, इसे अपना करियर बनाकर आप खुद की प्रसिद्धी और देश का गौरव बढ़ा सकते है.

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