बेटियों के लिए पहली बार भोजपुरी में लिखा सोहर गीत , मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
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भोजपुर. बिहार के आरा की बेटी ने मध्यप्रदेश के भोपाल में परचम लहराया है. भोपाल में आरा की रहने वाली स्मिता कुमारी ने भोजपुरी में बेटियों पर ना सिर्फ सोहर लिखी है बल्कि भोजपुरी के इस सोहर और स्मिता कुमारी को सरोकार संस्था ने प्रथम पुरस्कार से नवाजा है. जेंडर समानता पर काम करने वाली स्मिता कुमारी आरा के उतरी नवादा की रहने वाली हैं. इनके पिता का नाम रामबाबू चैरसिया और माता का नाम शांति देवी है.
पहली बार भोजपुरी में लिखी गई है सोहर-
आम तौर पर हमारे समाज मे बेटा होने पर शोहर गाने की परंपरा है लेकिन इस मानसिकता को दूर करने के लिए स्मिता ने बेटियों पर एक सोहर लिखी और उसको होने वाले प्रातयोगिता में भेजी इनका लिखा हुआ बेटियों के लिए सोहर ना सिर्फ सलेक्ट हुआ बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में इसकी खूब सराहना भी हो रही है. जिसका नतीजा ये निकला की भोजपुरी बेटी सोहर को प्रथम पुरस्कार दिया गया. जिसके वजह से भोजपुरी भाषा और समस्त जिला गौरवान्वित हुआ.
कौन हैं स्मिता-
स्मिता कुमारी मूल रूप से आरा की नवादा की रहनी वाली हैं. ये प्रोफेशन के तौर पर मनोवैज्ञानिक हैं. इनके द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सत्यमेव मानसिक विकास केंद्र चलाया जाता है. जिसमें मानसिक रूप से कमजोर लोगों की मुफ्त में काउंसलिंग करती है. स्मिता काम के वजह से अक्सर देश के विभिन्न जगहों पर जाती है लेकिन भोजपुरी और जेंडर समानता का जुनून से इनका लगाव कम नहीं होता है.
प्रथम अवार्ड मिलने से जिला और राज्य हुआ गर्वन्तित-
भोपाल की सरोकार संस्था के माध्यम से इस बार जेंडर समानता पर चार राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं को आयोजित किया गया. जिसमें जीत-हार की सोच से परे पूरे देश से कई लोग समानता के इस अभियान में जुड़कर भाग लीये. स्मिता भी चारों प्रतियोगिता में भाग ली.
इसमें बेटियों के जन्म के बधाई गीत लेखन राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता में भोजपुरी में लिखी उनकी गीत को प्रथम स्थान मिला, “जेंडर समानता आधारित दुनियां बनाने में मेरी भूमिका” राष्ट्रस्तरीय लेख प्रतियोगिता में स्मिता के कार्य आधारित लेख को तृतीय स्थान मिला, “एक जेंडर न्यूट्रल दुनिया कैसी दिखेगी” राष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार मिला.और “एक जेंडर समावेशी दुनिया” रील बनाओ शामिल है.
राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभागी सर्टिफिकेट मिला-
लिंग आधारित भेद भाव की मानसिकता को दूर करने में छोटी-छोटी प्रयास कर पाने की खुशी को साझा करती हुई स्मिता बताती हैं कि भोजपुरी जिसे अभी भाषा का दर्जा भी नहीं मिल पाया है. उस भाषा में मेरी गीत को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान मिला. इस गीत को “सुरताल संगीत एकेडमी” भोपाल द्वारा कंपोज करके परफॉर्मेंस में भी उपयोग किया जा जायगा. यह मेरे लिए गौरव की बात है. इसके अलावा भी मैं छठ या अन्य त्योहार की लोकगीत जिसमें असमानता या लिंग आधारित भेदभाव मिलते है. उसे दूर करने के लिए प्रयासरत हूं. भोजपुरी मेरी भाषा है आज भी घर में हमलोग भोजपुरी ही बोलते हैं.