सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज का प्रमुख बनाने वाले रासबिहारी बोस के किस्से
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25 मई 2023. रासबिहारी बोस का जन्म साल 1886 में पश्चिम बंगाल में हुआ था। शुरू से ही अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में रूचि रखने वाले रासबिहारी ने बहुत कम उम्र से अंग्रेजी सत्ता की खिलाफत शुरू कर दी थी। बंगाल में उस दौर में ब्रिटिश सत्ता द्वारा निर्मित अकाल और महामारियों ने भारी तबाही मचाई थी। इसके बाद बंगाल विभाजन ने उन्हें अंग्रजों के और खिलाफ कर दिया। इसके बाद वह पूरी तरह अंग्रेजों के खिलाफ गतिविधियों में जुट गए।
रासबिहारी बोस अंग्रेजों को हिंसक तरीके देश से मार-पीट कर बाहर फेंकने के समर्थक थे। वर्ष 1912 में देश की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के उपलक्ष्य में अंग्रेजों ने एस कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका गया। हालांकि, इस बम से वायसराय जख्मी तो हुआ लेकिन उसकी मौत नहीं हुई। लेकिन इस घटना ने पूरी ब्रिटिश सत्ता की नींव हिला कर रख दी। इस योजना के विफल होते ही अंग्रजों ने क्रांतिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।
आजादी प्राप्त करने की दीवानगी ऐसी थी कि रासबिहारी बोस कभी अपने मकसद को नहीं भूले। उन्होंने अमेरिका में 1914-1915 में बनी गदर पार्टी का नेतृत्व किया। इस आंदोलन के तहत विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने देश की स्वतंत्रता के लिए वापस आना शुरू कर दिया। वह अपने साथ हथियार भी लेकर आ रहे थे। मकसद था अंग्रेजों को के खिलाफ उनका इस्तेमाल करना। हालांकि, किसी भेदिए के कारण अंग्रेजों को इस योजना की भनक लग गई और इस योजना को पूरा नहीं किया जा सका। इसके बाद अंग्रजों ने सैकड़ों क्रांतिकारियों की निर्मम हत्या कर दी।
कहा जाता है कि लाला लाजपत राय के कहने पर रासबिहारी बोस जापान चले गए थे। यहां राजा पी. एन. टैगोर के नाम से रहने लगे। उन्होंने अंग्रेजी अध्यापन, लेखन और पत्रकारिता का कार्य किया। ‘न्यू एशिया’ नामक समाचार-पत्र शुरू किया और जापानी भाषा में कुल 16 पुस्तकें लिखीं। मार्च 1942 में टोक्यो में उन्होंने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस लीग’ की स्थापना की और भारत की स्वाधीनता के लिए एक सेना बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया। यहीं से शुरुआत हुआ आजाद हिंद फौद की।
रास बिहारी बोस ने एक जापानी महिला से ही शादी की और वहां के नागरिक बन गए थे। 21 जनवरी 1945 को रास बिहारी बोस का निधन हो गया। जापान की सरकार ने उन्हें द सेकेंड ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन से सम्मानित किया था। हालांकि, इसके दो वर्ष बाद ही देश की स्वतंत्रता का उनका सपना पूरा हुआ था। आजादी के इस अमृत महोत्सव में पूरा देश रासबिहारी बोस को उनके योगदान के लिए धन्यवाद करता है।