जीवन परिचय

राजा राममोहन राय : मूर्ति पूजा और हिंदू धर्म के रूढ़िवादी कर्मकांडों के विरोधी

22 मई 2023। आज राजा राममोहन रॉय की  जयंती है। भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहे जाने वाले राजा राममोहन रॉय का जन्म बंगाल में 22 मई को 1772 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत और मां का नाम तारिणी देवी है। राजा राममोहन रॉय को भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में कई योगदान है।

राजा राममोहन रॉय ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक और जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम योगदान दिया है। उन्हें सती प्रथा और बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के उनके प्रयासों के लिए जाना जाता था।

राजा राममोहन रॉय को मुगल सम्राट अकबर द्वितीय द्वारा राजा की उपाधि दी गई थी। जिन्होंने उन्हें अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए इंग्लैंड भेजा था। राजा राममोहन को कई भाषाओं का ज्ञान था। वह एक बहुभाषाविद थे, उन्हें संस्कृत, फारसी, अरबी, अंग्रेजी, बंगाली और हिंदी बोलने में महारत हासिल है। राजा राममोहन राय मूर्ति पूजा और हिंदू धर्म के रूढ़िवादी कर्मकांडों के विरोधी थे। उन्होंने वैज्ञानिक सोच का समर्थन किया और अपने विचारों के लिए उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा था। राजा राममोहन राय ने वेदों और उपनिषदों का बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया था और उन पर सारांश और ग्रंथ लिखा था। राजा राममोहन राय ने 1816 में कोलकाता में भारत का पहला अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किया जिसे बाद में एंग्लो-हिंदू स्कूल के रूप में जाना जाने लगा।

1822 में राममोहन राय ने फारसी में मिरात-उल-अकबर पत्रिका प्रकाशित की थी और संवाद कौमुदी समाचार पत्र की स्थापना की थी।राजा राममोहन रय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। इस कदम को अक्सर भारतीय समाज के सुधार और आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है।

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