किन कारणों के चलते राजनीति में सक्रिय हुए प्रधानमंत्री राजीव गांधी
21 मई। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर देश भर में उन्हें याद किया जा रहा है। 21 मई 1991 को एक आत्मघाती बम धमाके में भारत रत्न राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनके जन्म के तीन साल बाद देश आजाद हुआ था। बड़े होने के बाद राजीव गांधी ने न केवल जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की राजनीतिक विरासत को संभाला, बल्कि देश को तकनीक व वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए।
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में हुआ था। जब वह तीन साल के थे, तब देश आजाद हुआ था। उनका बचपन तीन मूर्ति भवन में बीता। बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार के आखिरी सदस्य थे। उनके बाद भले ही गांधी परिवार राजनीति में आज भी है लेकिन कोई प्रधानमंत्री के पद पर आसीन न हो सका। राजीव गांधी का परिवार भले ही राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय था। नाना जवाहर लाल नेहरू के बाद उनकी मां इंदिरा गांधी भी देश की प्रधानमंत्री रहीं और कांग्रेस की कमान संभाली। लेकिन राजीव को नाना या मां की तरह राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। राजनीति में आने से पहले राजीव गांधी एक पेशेवर पायलट थे।
उनकी शिक्षा की बात करें तो राजीव गांधी ने इंजीनियरिंग करने के लिए कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन उन्हें किताबी ज्ञान तक सीमित रहना रास नहीं आया। पहले लंदन और फिर कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से तीन साल शिक्षा लेने के बाद भी राजीव गांधी को डिग्री नहीं मिल सकी। फिर भी राजीव गांधी ने लंदन के ही इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया, लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लगा और बाद में राजीव ने भारत लौट कर दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में पायलट की ट्रेनिंग ली। साल 1970 में राजीव गांधी ने एयर इंडिया के साथ अपने करियर की शुरुआत की।
कम ही लोग जानते हैं कि राजीव गांधी को विमान उड़ाने के साथ ही फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था। उनकी तस्वीरों को छापने के लिए कई पब्लिशर्स ने मशक्कत की लेकिन राजीव गांधी ने कभी अनुमति नहीं दी। हालांकि राजीव गांधी के निधन के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने उनके द्वारा खींची गई तस्वीरों के संग्रह को किताब का रूप दिया ताकि दुनिया को उनकी इस काबिलियत से परिचित कराया जा सके। उनकी किताब का नाम ‘राजीव्स वर्ल्ड- फोटोग्राफ्स बाय राजीव गांधी’ है।
राजीव गांधी की छवि हमेशा से ही साफ सुथरी और बेदाग थी। जब उन्होंने 1980 में राजनीति में कदम रखा तो उन्हें मिस्टर क्लीन माना जाता था। शुरुआत से विदेश में पढ़ाई करने वाला एक नौजवान महज 40 साल की उम्र में राष्ट्रीय राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंच गया। हालांकि राजनीति में आने के बाद उनका नाम कई बड़े घोटालों में आया, जिससे उनकी छवि धूमिल हो गई। कहा जाता है कि राजीव गांधी एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो खुद अपनी गाड़ी चलाकर जगह जगह जाते थे। कई चुनावी रैलियों में भी राजीव गांधी खुद अपनी कार चलाकर पहुंचे थे। उनके सुरक्षा गार्ड पीछे आते थे।
इंदिरा गांधी के साथ उनकी राजनीति विरासत उनके बेटे संजय गांधी संभाल रहे थे। उस समय तक राजीव ने राजनीति में आने के बारे में शायद ही सोचा होगा लेकिन एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी का निधन हो गया। उन दिनों लोग इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से मिलने आते रहते थे। एक दिन बद्रीनाथ धाम के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद जी ने इंदिरा गांधी से मुलाकात करते हुए उन्हें सावधान किया कि राजीव को अब ज्यादा समय तक विमान नहीं उड़ाना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि राजीव को अब राष्ट्र की सेवा में लग जाना चाहिए। इसके बाद से ही राजीव राजनीति में सक्रिय हो गए।